- बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से एनडीए ने 125 सीटों पर जीत हासिल की
- अलग अलग राज्यों में हुए उपचुनावों में 59 में से 40 सीट पर बीजेपी की जीत
- नतीजों से पता चलता है कि विपक्ष कृषि कानूनों और प्रवासी मजदूरों की परेशानी को नहीं बना सका मुद्दा
नई दिल्ली। एनडीए के लिए जश्न का दिन है तो उसके पीछे वजह भी है। सियासी रूप से मुखर रहने वाले बिहार राज्य में एनडीए ने अपनी जीत का झंडा बुलंद रखा है तो अलग अलग राज्यों में हुए उपचुनावों में भी बादशाहत बरकार रही है। बिहार की 243 सीटों में से 125 सीटों पर एनडीए का कब्जा है तो 59 उपचुनावों में से 40 पर एनडीए खासतौर से बीजेपी को जीत हासिल हुई है और यह साबित हो गया कि पीएम नरेंद्र मोदी का जलवा बरकरार है।
कोरोना महामारी, प्रवासी मजदूर नहीं बन पाए मुद्दा
बिहार विधानसभा का चुनाव और उपचुनाव कोरोना काल में कराए गए। लॉकडाउन के समय जिस तरह से प्रवासी मजदूरों के सामने आई ऐसा लगा कि को बिहार के साथ साथ उपचुनावों में मुद्दा बनेगा। लेकिन जिस तरह से पीएम मोदी ने चुनावी सभाओं में जनता को समझाने की कोशिश की वो नतीजों में झलक रहा है। इसके साथ ही एक बड़ा मुद्दा कहीं न कहीं बिहार के चुनाव में कोरोना वैक्सीन का विषय भी काम करता हुआ नजर आ रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना की वैक्सीन आने पर बिहार के प्रत्येक निवासी को बिनी किसी भेदभाव के फ्री में टीकाकरण किया जाएगा। हालांकि विपक्षी दलों ले इसे लालच देने की कोशिश करारा दिया।
कृषि कानून का विरोध रहा बेअसर
इसके अलावा एक बड़ा विषय कृषि कानूनों का है, बिहार के चुनाव में वैसे तो तेजस्वी यादव पीएम नरेंद्र मोदी पर कम हमला करते नजर आए। लेकिन राहुल गांधी ने हमता करते हुए कहा कि पीएम मोदी को किसानों की चिंता नहीं है। लेकिन इस तरह के आरोपों पर पीएम मोदी ने कहा कि आंकड़े गवाह हैं कि किसानों के हित के लिए किसने क्या किया। दरअसल कांग्रेस को कुछ खास लोगों की चिंता है लिहाजा उसके नेता किसानों को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं।
केंद्र की योजनाएं लोगों को आई पसंद
पीएम नरेंद्र मोदी ने दरभंगा की एक सभा में साफ कहा कि अब बिहार के लोगों को बिजली, सड़क और पानी से ऊपर सोचने की जरूरत है। बिहार के लोगों में असीम संभावनाएं हैं और उन संभावनाओं में पंख लगाने का काम नीतीश कुमार और केंद्र सरकार कर रही है। इसके साथ यह भी कहा कि वो सिर्फ थोथे वादे नहीं करते हैं। उज्ज्वला योजना, मुद्रा योजना, स्टार्ट अप योजना, जनधन योजना, किसानों के खाते में पैसे की सीधे ट्रांसफर, गरीबों को अनाज, शौचालय ये सारी योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रहीं उसका असर जमीन पर दिखाई दे रहा है, जहां तक विपक्ष के आरोपों का सवाल है तो अगर इसे नीतियों में शामिल किया गया होता तो विकास की रफ्तार में बिहार कहां से कहां होता।