नई दिल्ली : केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ दो महीने से भी अधिक समय से जारी किसान आंदोलन के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ किया है कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर किसी भी तरह की पाबंदी नहीं है। उनका यह बयान विपक्ष के इन आरोपों के बीच आया है कि आंदोलन को दबाया जा रहा है और सरकार अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने का प्रयास करती है।
टाइम्स नाउ चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बजट से लेकर कई मुद्दों पर सरकार का पक्ष रखा और कहा कि बजट में जो प्रावधान किए गए हैं, उससे देश की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी और लोगों को काम के अवसर मिलेंगे।
इस दौरान वह विपक्ष पर जमकर बरसीं और आरोप लगाया कि वे भारत को उसी दौर में ले जाना चाहते हैं, जिसमें लोगों के लिए अवसर सीमित थे। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी घेरा, जो सरकार पर 'क्रोनी कैपिटलिज्म' को लेकर हमलावर रहे हैं।
विपक्ष पर बरसीं वित्त मंत्री
बजट की आलोचना को लेकर कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं पर पलटरवार करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि वैचारिक रूप से वे भारत को उसी दौर में रखना चाहते हैं, जब लोगों के पास अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए सीमित अवसर थे।
किसान आंदोलन को लेकर हमलावर विपक्ष पर पलटवार करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि किसी को भी प्रदर्शन से रोका नहीं जा रहा है और न ही अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर कोई पाबंदी है, लेकिन 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च के दौरान लाल किला पर जो कुछ भी हुआ, उसकी अनुमति नहीं दी सकती।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने किसान संगठनों के साथ बातचीत के दरवाजे कभी बंद नहीं किए और उनके मुद्दों को लेकर केंद्रीय मंत्री लगातार किसान नेताओं से बात करते रहे हैं।
यह पूछे जाने पर कि कृषि जबकि राज्यों का भी विषय है, केंद्र ने इस पर कानून क्यों बनाया, वित्त मंत्री ने कहा कि निश्चित रूप से यह राज्यों का भी विषय है, लेकिन कृषि उत्पादों के अंतराज्यीय व्यापार का मसला केंद्र के अंतर्गत आता है और उन्हीं बातों को कानून में शामिल किया गया है।