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आखिरी दिन मिली-जुली अनुभूति हुई जिसे बयां करना मुश्किल है: चीफ जस्टिस बोबडे

There was a mixed feeling on the last day which is difficult to describe: CJI Bobde
Updated Apr 23, 2021 | 17:35 IST

भारत के चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि वह 21 साल तक जज के रूप में सेवाएं देने के बाद पद छोड़ रहे हैं और शीर्ष अदालत में उनका सबसे समृद्ध अनुभव रहा है।

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There was a mixed feeling on the last day which is difficult to describe: CJI BobdeThere was a mixed feeling on the last day which is difficult to describe: CJI Bobde
तस्वीर साभार:&nbspBCCL
चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे

नई दिल्ली : भारत के निवर्तमान चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने शुक्रवार को कहा कि वह प्रसन्नता, सद्भाव और बहुत अच्छी यादों के साथ सुप्रीम कोर्ट से विदा ले रहे हैं और इस बात का संतोष है कि उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ काम किया है। जस्टिस बोबडे को नवंबर 2019 में देश के 47वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ दिलाई गई थी और वह आज रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में अयोध्या जन्मभूमि के ऐतिहासिक फैसले समेत कई महत्वपूर्ण फैसले किए। जस्टिस बोबडे ने कोरोना वायरस महामारी के अभूतपूर्व संकट के समय भारतीय न्यायपालिका का नेतृत्व किया और वीडियो कॉन्फ्रेंस से शीर्ष अदालत का कामकाज कराया।

शीर्ष अदालत में अपने विदाई भाषण में उन्होंने कहा कि आखिरी दिन मिली-जुली अनुभूति होती है, जिसे बयां करना मुश्किल है। मैं इस तरह के समारोहों में पहले भी शामिल हुआ हूं लेकिन कभी ऐसी मिली-जुली अनुभूति नहीं हुई इसीलिए तब मैं अपनी बातें स्पष्ट तौर पर कह सका। उन्होंने कहा कि मैं प्रसन्नता, सद्भाव के साथ और शानदार दलीलों, उत्कृष्ट प्रस्तुति, सद्व्यवहार तथा न केवल बार बल्कि सभी संबंधित पक्षों की ओर से न्याय की प्रतिबद्धता की बहुत अच्छी यादें इस अदालत से जा रहा हूं।

जस्टिस बोबडे ने कहा कि वह 21 साल तक जज के रूप में सेवाएं देने के बाद पद छोड़ रहे हैं और शीर्ष अदालत में उनका सबसे समृद्ध अनुभव रहा है तथा साथी न्यायाधीशों के साथ सौहार्द भी बहुत अच्छा रहा है। उन्होंने कहा कि महामारी के दौर में डिजिटल तरीके से काम करना रजिस्ट्री के बिना संभव नहीं होता। उन्होंने कहा कि डिजिटल सुनवाई के बारे में कई ऐसी असंतोषजनक बातें हैं जिन्हें दूर किया जा सकता है।

जस्टिस बोबडे ने कहा कि इस तरह की सुनवाई में फायदा यह हुआ कि इस दौरान मुझे वकीलों के पीछे पर्वत श्रृंखलायें और कलाकृतियां दिखाई दीं। कुछ वकीलों के पीछे बंदूक और पिस्तौल जैसी पेंटिंग भी दिखाई दीं। हालांकि एसजी मेहता के पीछे की पेंटिंग अब हटा ली गई है। उन्होंने कहा कि मैं इस संतोष के साथ यह पद छोड़ रहा हूं कि मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ काम किया। मैं अब कमान न्यायमूर्ति एन वी रमण के हाथों में सौंप रहा हूं, जो मुझे विश्वास है कि बहुत सक्षम तरीके से अदालत का नेतृत्व करेंगे।

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि किसी चीफ जस्टिस का कार्यकाल कम से कम तीन वर्ष का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मार्च 2020 में दुनिया कोविड-19 से जूझ रही थी। सुप्रीम कोर्ट को भी फैसला लेना था, बार ने सोचा कि अदालत बंद हो जाएगी। वेणुगोपाल ने कहा कि लेकिन चीफ जस्टिस बोबडे ने पहल की और डिजिटल सुनवाई शुरू की तथा करीब 50,000 मामलों का निस्तारण किया गया। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।

सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि न्यायमूर्ति बोबडे को न केवल ज्ञानी और बुद्धिमान न्यायाधीश के तौर पर जाना जाएगा बल्कि गजब के हास्यबोध के साथ स्नेह करने और ध्यान रखने वाले इंसान के तौर पर भी जाना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट बार संघ के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि यह (65 साल) सेवानिवृत्ति की आयु नहीं है और न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के लिए संविधान संशोधन लाया जाना चाहिए।

महाराष्ट्र के नागपुर में 24 अप्रैल, 1956 को जन्मे न्यायमूर्ति बोबडे ने नागपुर विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी किया। वह 1978 में महाराष्ट्र की बार काउंसिल में अधिवक्ता के तौर पर रजिस्टर्ड हुए। वह 29 मार्च 2000 को बंबई हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश बने और 16 अक्टूबर 2012 को उन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पद की शपथ ली। वह 12 अप्रैल 2013 सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश पद पर पदोन्नत हुए।

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