लाइव टीवी

इन मुद्दों पर नहीं बन पाई किसानों से बात, इसलिए वापस हुए कृषि कानून

Updated Nov 19, 2021 | 14:26 IST

Government To Repeal Farm Laws: पिछले एक साल के दौरान सरकार और किसान संगठनों के बीच 11 दौर की बातचीत हुुई। इसके बावजूद कई ऐसे अहम मुद्दे थे, जिनकी वजह से तीन कृषि कानूनों को लागू करने के लिए किसान सगंठन तैयार नहीं हुए।

Loading ...
तस्वीर साभार:&nbspBCCL
इन वजहों से किसानों और सरकार के बीच नहीं बनी बात
मुख्य बातें
  • किसानों को MSP खत्म होने का डर था। वह सरकार से MSP की लिखित गारंटी मांग रहे थे।
  • कांट्रैक्ट फॉर्मिंग के प्रावधान से किसानों को अपनी जमीन खोने का डर था।
  • किसानों को विवाद के समय, कंपनियों के आगे कमजोर पड़ने की आशंका थी।

Government To Repeal Farm Laws: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है। सरकार पिछले एक साल से किसानों को यह समझाने की कोशिश कर रही थी, कि तीन कृषि कानून किसानों के हित में हैं और उनके जरिए किसानों के जीवन में खुशहाली आएगी। लेकिन 11 दौर की किसान और सरकार के बीच बातचीत और सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचने के बाद भी, आम सहमित नहीं बन पाई और सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।

11 दौर हुई किसान और सरकारों के बीच बात

सितंबर में संसद द्वारा तीनों कृषि कानून पारित होने के बाद से ही, किसानों का विरोध शुरू हो गया था। उसके बाद 14 अक्टूबर 2020 से किसानों और सरकार के बीच तीनों कृषि कानूनों को लेकर बातचीत शुरू हुई थी।बातचीत का यह सिलसिला 22 जनवरी तक चला लेकिन इसके बाद जब 26 जनवरी 2021 को  लाल किले पर हुई हिंसा के बाद से दोनो पक्षों ने बातचीत से दूरी बना ली थी। इस बीच सरकार ने कृषि कानूनों को 18-24 महीने तक स्थगित करने का भी प्रस्ताव रखा। लेकिन किसान इस पर सहमत नहीं हुए । इस दौरान मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और उसने विवाद को दूर करने के लिए कमेटी बनाई थी। जिसने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौप दी थी।

इन मुद्दों पर नहीं बन पाई बात

तीनों कृषि कानून में कई ऐसे अहम बिंदु हैं, जिस पर किसान को सरकार संतुष्ट नहीं कर पाई। और इस बात को प्रधानमंत्री ने आज कृषि कानूनों  को वापस लेने के ऐलान के वक्त भी कहा। उन्होंने कहा हमारी तपस्या में कोई कमी रह गई, सरकार किसानों, गांव, गरीब के हित में पूर्ण समर्थन भाव से, नेक नियत से ये कानून लेकर आई थी। लेकिन इतनी पवित्र बात और पूर्ण रूप से किसानों के के हित की बात हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। 

MSP पर सरकार नहीं दे पाई भरोसा

तीनो कृषि कानूनों के आने के बाद सबसे ज्यादा किसानों को इस बात का अंदेशा हो गया था, कि सरकार कृषि सुधारों के नाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) खत्म करना चाहती है। इसके बाद से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान खास तौर से विरोध में आ गए। हालांकि सरकार बार-बार यह कहती रही है, किसी भी हालत में एमएसपी खत्म नहीं किया जाएगा और पहले की तरह एमएसपी चालू रहेगी। लेकिन किसान एमएसपी की गारंटी कानूनी तौर पर मांगने लगे। इस पर सरकार का कहना था अभी भी एमएसपी की  गारंटी कानूनी रुप से कही नहीं है। और उसका इन तीनों कृषि कानूनों से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद इस मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई।

मंडी सिस्टम खत्म होने का डर

नए कानून के जरिए किसानों को यह अधिकार मिलने वाला था कि वह अपनी फसल को अपनी मर्जी के अनुसार कहीं भी बेच सकेंगे। फसल को APMC मंडी   में बेचने की बाध्यता खत्म हो जाती। किसानों को डर था इस बदलाव से प्राइवेट सेक्टर को शोषण का मौका मिल जाएगा। और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी। जिससे उन्हें उनकी उपज के उचित दाम नहीं मिलेंगे। साथ ही नए कानून से  किसी भी पैन कार्ड होल्डर को किसान से फसल खरीद का मौका मिलता । इस बात को लेकर भी किसानों के मन शोषण का संशय था।

विवाद की स्थिति में कॉरपोरेट के भारी पड़ने का डर

नए कानून में कृषि उत्पाद के लिए निजी कंपनियों अथवा व्यक्तियों द्वारा किसानों के साथ कांट्रैक्ट फार्मिंग का प्रावधान किया गया था। लेकिन विवाद की स्थिति में किसान को सही समाधान मिलने में कई समस्याएं खड़ी होने का डर था। विवाद निपटाने में एसडीएम की भूमिका महत्वपूर्ण बताई गई थी। किसान संगठनों को डर था कि किसान की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह कंपनियों के आगे विवाद की स्थिति में खड़ा नहीं हो पाएगा।

जमाखोरी का डर

नए कानून में आवश्यक वस्तुओं से अनाज को हटाने का प्रावधान था। सरकार का दावा था कि ऐसा होने भी बिक्री के और साधन खुल जाएंगे और प्रतिस्पर्धा में किसानों को दाम अच्छे मिल सकेंगे। लेकिन किसानों को आशंका थी कि इससे जमाखोरी बढ़ जाएगी। उन्हें लगता था कि जब किसान जब फसल बाजार में लाएगा तो प्राइवे कंपनियों द्वारा दाम गिरा दिए जाएंगे और जब उपभोक्ता को बेचने की बात आएगी तो दाम बढ़ा दिए जाएंगे।

बिजली पर सब्सिडी खत्म होने का डर

किसानों को इस बात का भी डर था कि सरकार विद्युत विधेयक 2020 के जरिए किसानों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म करना चाहती है। आज भी संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा गया है कि केवल तीनों कृषि कानून वापस लेने का हमारा आंदोलन नहीं है। बल्कि विद्युत बिल का मामला अभी भी लंबित है।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।