- पूरी दुनिया में कोरोना से 24 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित, 1 लाख 65 हजार से अधिक लोगों की अब तक मौत
- भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 17 हजार के पार, 500 से ज्यादा लोगों की मौत
- भारत कोरोना संक्रमित के डबल होने की रफ्तार दूसरे विकसित देशों के मुकाबले कम
नई दिल्ली। मानवता का दुश्मन इस समय पूरी दुनिया पर छिपकर हमला कर रहा है। बस इतना पता है कि वो छींक में, थूक में बसेरा करता है। पूरी दुनिया के देश लगातार इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी तरह से इस महामारी पर निजात पाया जाए। लेकिन आंकड़े डराते हैं, अब तक पूरी दुनिया में 24 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं और एक लाख 65 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। अगर बात भारत की करें तो यहां भी संक्रमित लोगों की तादाद 17 हजार से पार है और 543 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन एक ऐसा आंकड़ा सामने आया है जो बोझिल माहौल में भारत को मुस्कुराने की वजह देती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश के 325 जिलों में कोरोना का संक्रमण नहीं है। इसके साथ ही कोरोना संक्रमण की डबलिंगे रेट 6.2 दिन की है। इस संबंध में दुनिया के कुछ देशों में कोरोना की डबलिंग रेट और भारत की तुलना की गई है। सबसे पहले नजर डालते हैं भारत पर
भारत
भारत में 500 से एक हजार होने में 5 दिन लगे, जबकि 1000 से 2 हजार होने में चार दिन, 2 हजार से 4 हजार होने में 3 दिन, 4 हजार से 8 हजार होने में 6 दिन और 8 हजार से 16 हजार होने में 8 दिन लगे।
यूएसए
500 से एक हजार होने में 3 तीन दिन, 1 हजार से 2 हजार होने में 2 दिन, 2 हजार से 4 हजार होने में 3 दिन, 4 हजार से 8 हजार होने में 2 दिन और 8 हजार से 16 हजार होने में 2 दिन लगे।
इटली
अगर इटली के आंकडो़ं देखें तो 500 से हजार होने में 2 दिन, 1 हजार से 1 हजार होने में 2 दिन, 2 हजार से 4 हजार होने में 4 दिन, 4 हजार से 8 हजार होने में 3 दिन, 8 हजार से 16 हजार होने में 4 दिन लगे।
ब्रिटेन
500 से हजार होने में 2 दिन, 1 हजार से 2 हजार होने में 4 दिन , 2 हजार से 4 हजार होने में 3 दिन, 4 हजार से आठ हजार होने में 3 दिन और 8 हजार से 16 हजार होने में 4 दिन लगे।
अगर इन आंकड़ों पर गौर करें तो एक बात साफ है कि भारत में डबल होने की रफ्तार में लगने वाला समय और दूसरे देशों की अपेक्षा ज्यादा है। इसका अर्थ यह है कि भारत में कोरोना के खिलाफ जो लड़ाई लड़ी जा रही है वो दूसरे विकसित देशों के मुकाबले बेहतर है। भारत में समय से लॉकडाउन के लागू किये जाने से कोरोना के केस में उस रफ्तार से वृ्द्धि नहीं हुई जिसकी वजह से दूसरे विकसित देश शिकार बन गए।