- तीन तलाक को अपराध करार देने वाले बिल को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी
- अब मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक अब कानून बन गया
- इस कानून को 19 सितंबर 2018 से लागू माना जाएगा
नई दिल्ली। Triple Talaq President Approval: तीन तलाक को अपराध करार देने वाले बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है, इसके साथ ही अब मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक अब कानून बन गया है, मुस्लिम महिलाओं की बेहतरी की दिशा में इस कदम को मील का पत्थर माना जा रहा है। इस कानून को 19 सितंबर 2018 से लागू माना जाएगा।
गौरतलब है कि 30 जुलाई को लोकसभा के बाद तीन तलाक विधेयक राज्यसभा से भी पारित हो गया था। विधेयक के पारित होने से पहले इस पर लंबी बहस के बाद मतविभाजन हुआ था। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 को राज्यसभा में पेश किया था।
निम्न सदन में इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद सभी की नजरें उच्च सदन पर लगी थीं। कांग्रेस सहित विपक्ष ने इस विधेयक को चयन समिति के पास भेजने का सुझाव दिया लेकिन राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायूड ने इस सुझाव को ठुकरा दिया। राजयसभा में तीन तलाक विधेयक के पक्ष में 99 और इसके खिलाफ 84 मत पड़े थे।
मत विभाजन के दौरान टीडीपी और टीआरएस के सांसद अनुपस्थित रहे थे। वाईएसआरसीपी का एक सांसद मत विभाजन के दौरान गैर-मौजूद रहा। जबकि बीएसपी सदन से वॉक आउट कर गई। यही नहीं एनसीपी के शीर्ष नेता भी सदन से दूर रहे।
अब तीन तलाक देने वाले मुस्लिम पुरुषों को होगी सजा
सरकार तीन तलाक पर अध्यादेश गत फरवरी में लाई थी। जबकि मोदी सरकार ने तीन तलाक विधेयक को पहली बार दिसंबर 2017 में लोकसभा में पेश किया। इस विधेयक पर सरकार और विपक्ष के बीच तकरार थी। विपक्ष का सबसे बड़ा विरोध विधेयक के आपराधिक प्रावधानों को लेकर था।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में तत्काल तीन तलाक को असंवैधानिक, अनुचित और गैर-कानूनी घोषित किया था। मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पारित कराने में सफल हुई थी लेकिन यह विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं हो सका। साल 2019 में दूसरी बार सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने नए सिरे से इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था।
लोकसभा में सरकार के पास बहुमत होने की वजह से इसे पारित कराने में मुश्किल नहीं हुई लेकिन राज्यसभा में उसके पास बहुमत नहीं था। राज्यसभा में विपक्ष के सदस्यों के अनुपस्थित रहने से यह विधेयक वहां से भी पारित हो गया।
बीजेपी की सटीक रणनीति के आगे धराशाई हुआ अपोजिशन
तीन तलाक और आरटीआई संशोधन बिल पर विपक्ष राज्यसभा में एकमत नहीं रहा। भारतीय जनता पार्टी के फ्लोर मैनेजमेंट के सामने विपक्ष पूरी तरह से धराशाई हो गया। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार के सामने यह मांग रखी थी कि बिल को संसदीय समिति के सामने रखा जाए, लेकिन सरकार ने इस बिल को राज्यसभा में पास करवा लिया।
इस बिल के विरोध में जदयू और एआईएडीएमके दोनों ही पार्टियों के सांसद मतदान में हिस्सा नहीं लिए और सदन से वॉकआउट कर गए। दोनों ही पार्टियों के राज्यसभा में 19 सांसद हैं। इन दोनों दलों के सदन से बाहर चले जाने के बाद विपक्ष की उम्मीदों पर पानी फिर गया। इसके अलावा बीजू जनता दल के सांसदों ने सरकार के समर्थन में मतदान किया।
बिल पास करते समय विपक्ष पूरी तरह से बंटा हुआ नजर आया। बहुजन समाज पार्टी के सभी चार सांसद सदन से गायब रहे। सपा के के सात सांसद, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और टीडीपी के दो-दो सांसद भी तीन तलाक़ बिल पर राज्यसभा में मतदान के समय गायब रहे। पीडीपी के दो सांसद भी मतदान में हिस्सा नहीं लिए।
"सदियों से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को मिला न्याय"
तीन तलाक बिल पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम बताया है।पीएम मोदी ने ट्विटर पर लिखा, 'पूरे देश के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है। आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई है और उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला है। सदियों से तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आज न्याय मिला है। इस ऐतिहासिक मौके पर मैं सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं।'
उन्होंने आगे लिखा, 'तीन तलाक बिल का पास होना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। तुष्टिकरण के नाम पर देश की करोड़ों माताओं-बहनों को उनके अधिकार से वंचित रखने का पाप किया गया। मुझे इस बात का गर्व है कि मुस्लिम महिलाओं को उनका हक देने का गौरव हमारी सरकार को प्राप्त हुआ है।'
मुस्लिम महिला कार्यकर्ताओं ने जताई खुशी
सरकार के इस बड़े कदम पर महिला कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिलेगा। महिला एक्टिविस्ट जरीन खान ने कहा, 'इतने सालों से जो महिलाओं की लड़ाई है उसे जीत हासिल हुई है। सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर मैं इससे काफी लंबे से जुड़ी रही हूं। इस बिल में हमें कुछ बदलावों की जरूरत थी। महिलाओं की लड़ाई से यह बिल यहां तक पहुंचा है। इस बिल में महिलाओं को केंद्र से हटाकर सिर्फ पति को अपराधी घोषित कर छोड़ दिया गया है।'
महिला एक्टिविस्ट रुबीना ने कहा, 'जिनके साथ गलत होता है उनको तो न्याय मिलेगा। लेकिन न्याय कैसे मिलेगा क्योंकि कोर्ट में केस कई सालों तक चलता रहता है। जो महिला परेशानी होती है वो इससे और ज्यादा परेशान हो जाती है। मां-बाप के अलग होने पर बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ेगा क्योंकि पैसा की दिक्कत आएगी। इसलिए महिलाओं को ऐसी ट्रेनिंग दी जानी चाहिए ताकि वो अपने पैरों पर खड़ी हो सकें और बच्चों का सही से पालन-पोषण कर पाएं।