- तीन तलाक पर पिछले साल बना था कानून
- मोबाइल , व्हाट्सऐप के जरिए तीन तलाक देने का बन गया था प्रचलन
- तीन तलाक पर कानून बनने के बाद 82 फीसद की आई कमी
नई दिल्ली। आज ही के दिन मुस्लिम महिलाओं को उस डर से आजादी मिली जिसके साए में वो हर पल जिया करती थीं। तलाक, तलाक, तलाक कहने को सिर्फ तीन शब्द थे। लेकिन उस शब्द का असर मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी को तबाह करने के लिए पर्याप्त था। वर्षों तक इस विषय पर सड़क से लेकर अदालत और संसद तक बहस हुई। लेकिन कामयाबी पिछले साल मिली जब संसद ने इसे गैरकानूनी करार दिया। तीन तलाक के बारे में मोदी सरकार ने कहा कि कानून बनने के बाद तीन तलाक में 82 फीसद की कमी आई है जो कानून की जरूरत को खुद ब खुद साबित कर देता है। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस पर निशाना साधा।
1980 में तीन तलाक में बदलाव कर सकती थी कांग्रेस
स्मृति ईरानी ने कहा कि 1980 के दशक में कांग्रेस के पास पर्याप्त समय और नंबर थे। उस समय कांग्रेस पार्टी मुस्लिम समाज की महिलाओं के साथ न्याय कर सकती थी। लेकिन वोट बैंक की राजनीति की वजह से कांग्रेस न तो हिम्मत जुटा पाई और ना ही मुस्लिम महिलाओं के साथ न्याय की। सच तो यह है कि कांग्रेस कभी भी इस समाज की महिलाओं को बेहतर जिंदगी देना ही नहीं चाहती थी।
अड़चन के बाद सदन से पारित हुआ था तीन तलाक बिल
तीन तलाक के मुद्दे पर संसद के निचले सदन यानि लोकसभा में मोदी सरकार ने भारी बहुमत के साथ विधेयक को पारित करा लिया था। लेकिन राज्यसभा में सरकार के सामने दिक्कत थी। यह बात अलग है कि बेहतर फ्लोर मैनेजमेंट के जरिए सरकार राज्यसभा से बिल पारित कराने में कामयाब रही। बिल ने जब कानून का शक्ल अख्तियार किया तो पीएम मोदी ने कहा कि वर्षों से मुस्लिम ंमहिलाएं जिस डर के माहौल में जी रहीं थीं उसका अंत हुआ है। इसके साथ ही कांग्रेस ने भी कहा कि वो कानून का समर्थन करती है। लेकिन जिस तरह से इसे आपराधिक बनाया गया है उसके दुरुपयोग होने की संभावना है।