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United Nations Day: क्या अपने उद्देश्यों को हासिल करने में सफल रहा है संयुक्त राष्ट्र?

Updated Oct 24, 2021 | 07:36 IST

United Nations Day: हर साल 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को संयुक्त राष्ट्र संस्थान के उद्देश्यों एवं उपलब्धियों की जानकारी देना है।

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United Nations Day: क्या UN ने हासिल किए अपने उद्देश्य
मुख्य बातें
  • प्रतिवर्ष 24 अक्टूबर को मनाया जाता है संयुक्त राष्ट्र दिवस
  • समय- समय पर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को लेकर उठते रहते हैं सवाल
  • कुछ समय पहले पीएम मोदी ने यूएन में संबोधन के दौरान इसकी प्रासंगिकता को लेकर उठाए थे सवाल

नई दिल्ली: 1940 के दशक में जब वाशिंगटन में संयुक्त राष्ट्र की घोषणा की तो इसे लेकर कई आशाएं और उम्मीदें थी। जब इस अंतर्राष्ट्रीय संस्था का गठन हुआ तो ब्रिटिश भारत और भारतीय रियासतों के बीच विभाजित होने के बावजूद भारत ने संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रिया में मूल सदस्य के रूप से भाग लिया था। 1945 में इस अन्तर्राष्ट्रीय संस्था के निर्माण किया गया तो इसमें छोटे-बड़े सभी राष्ट्रों की सार्वभौमिक समानता को मान्यता देने की बात की गई। लेकिन आज जिस तरह से वैश्विक समीकरण लगातार बनते और बिगड़ते रहते हैं, उसमें इस अंतर्राष्ट्रीय संस्था की भूमिका और अहम हो जाती है। ऐसे में कई बार यूएन की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं।

एक नजर इतिहास पर

प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 1929 में राष्ट्र संघ का गठन किया गया था जिसका प्रभाव वैसा नहीं हो सका जैसी गठन के वक्त कल्पना की गई थी। इसके बाद 1930 में लीग ऑफ नेशंस की स्थापना की गई लेकिन यह भी प्रभावहीन रहा। यूएन की औपचारिक शुरुआत 1 जनवरी 1942 को वाशिंगटन डीसी में 26 सहयोगी राष्ट्रों के एक सम्मेलन में की गई थी और इसके बाद 1944 में चीन, रूस, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने एक बैठक की और इस बात पर सहमति जताई कि एक वैश्विक विश्व संस्था होनी चाहिए। इसके बाद इस संस्था की रूपरेखा तैयार हुई तथा पचास देशों के प्रतिनिधियों से बात की गई, परिणामस्वरूप 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना का ऐलान हो गया। आज इस वैश्विक संस्था में 193 देश सदस्य हैं। 

क्या हैं उद्देश्य 

यूएन के गठन के वक्त ही इसके कई उद्देश्य निर्धारित किए गए थे। इन उद्देश्यों में वैश्विक मामलों का शांतिपूर्ण तरीके निपटारा, आपसी युद्ध की समाप्ति करना और विश्व में शांति तथा व्यवस्था की स्थापना करना जैसे अहम बिंदु शामिल हैं। 1945 के बाद तीसरे विश्व युद्ध को नहीं होने देने को अक्सर संयुक्त राष्ट्र की अहम सफलता माना जाता है। इसके अलावा वैश्विक संकट के समय वैश्विक ताने-बाने को बनाए रखना भी यूएन के उद्देश्यों में शामिल है। यूएन उन देशों की मदद करता है जो आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और विकास से बहुत ज्यादा पिछड़े हुए हैं। लेकिन इसके उद्देश्यों को लेकर अक्सर सवालिया निशान भी खड़े हुए हैं।

उद्देश्यों को लेकर सवालिया निशान

समय-समय पर संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़े होते रहे हैं। चाहे वो वैश्विक महाशक्तियों के आगे उसकी भूमिका रही हो या फिर कोविड महामारी के समय उसकी प्रासंगिकता या फिर अफगानिस्तान संकट। कोविड संकट के दौरान इस विश्‍व संस्‍था के खिलाफ अमेरिका और जापान ने मुखर होकर आवाज उठाई थी। तब के अमेरिकी राष्ट्रपति ने यूएन की फंडिंग रोकने की तक बात कह दी थी। पिछले माह यूएन में अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएन की प्रासंगिकता और विश्वसनीयता पर सवाल  उठाते हुए कहा कि इस वैश्विक संस्था को अपने मूल्यों के संरक्षण के लिए निरंतर सुदृढ़ होकर कार्य करना होगा। ऐसे समय में जब विश्व कई संकटों से जूझ रहा है, संयुक्त राष्ट्र की भूमिका और भी महती हो जाती है। यूएन के उठाए गए सख्त कदम पूरे विश्व के लिए नजीर साबित हो सकते हैं।

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