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UP Assembly Elections 2022: अमित शाह का आजमगढ़ दौरा क्यों है खास, 360 डिग्री विश्लेषण

Updated Nov 12, 2021 | 17:25 IST

यूपी में आजमगढ़ मंडल के तीनों जिलों यानी कि आजमगढ़, मऊ और बलिया में कुल मिलाकर 21सीटें हैं। कुल 21 सीटों में 9 सीटों पर कामयाबी मिली थी। अगर बीजेपी की स्ट्राइक रेट को देखें तो वो 50 फीसद से कम था।

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आजमगढ़ दौरे पर है अमित शाह
मुख्य बातें
  • शनिवार को आजमगढ़ दौरे पर होंगे अमित शाह
  • 2022 में यूपी की सत्ता पर काबिज होने के लिए पूर्वांचल में जीत अहम
  • आजमगढ़ रीजन में कुल 21 सीटें हैं।

2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के जब नतीजे सामने आए तो राजनीतिक जानकारों का दिमाग भी चकरा गया। बीजेपी की विशाल जीत से हर कोई आश्चर्यचकित था कि यह कैसे संभव हुआ। उसके पीछे एसपी और बीएसपी का कमजोर प्रदर्शन था या बीजेपी वास्तव में लोगों के दिलों में राज कर रही थी जिसका नतीजा ईवीएम ने दिया। बीजेपी की इस प्रचंड जीत के हीरो बने अमित शाह जो इस समय गृहमंत्री हैं। पूर्वांचल में बीजेपी की इतनी विशाल जीत राम मंदिर आंदोलन के बाद हुए चुनाव के बाद की थी। लेकिन 2017 में राम मंदिर का मुद्दा उतना मुखर नहीं था। उस जीत का दोबारा जमीन पर उतारने के लिए अमित शाह पूर्वांचल के दौरे पर हैं जिसमें शनिवार को वो आजमगढ़ का दौरा करेंगे।

आजमगढ़ दौरे का मतलब
आजमगढ़ का दौरा क्यों खास है यह एक सवाल है। लेकिन इसका जवाब भी है। इस समय सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आजमगढ़ से सांसद हैें और आजमगढ़ की 10 विधानसभा सीटों में से पांच पर सपा का कब्जा है। इसके अलावा अगर इस मंडल के मऊ और बलिया की बात करें तो बीजेपी बढ़त पर है। आजमगढ़ का दौर बीजेपी के लिए इस लिए भी खास है क्योंकि समाजवादी पार्टी इसे प्रतीक के तौर पर देखती है। अगर आजमगढ़ में बीजेपी, समाजवादी पार्टी को टक्कर देने या सीटों को छिनने में कामयाब हो जाती है तो बीजेपी के लिए यह कहना आसान होगा कि अखिलेश यादव परिवार का वो दावा बेनकाब हो जाएगा जिसमें वो आजमगढ़ को इटावा की संज्ञा देते थे। 

आजमगढ़ मंडल में विधानसभा सीटों की संख्या
आजमगढ़ में विधानसभा की कुल 10 सीटें हैं।
मऊ में विधानसभा की चार सीटें हैं-2017 में तीन सीटें बीजेपी को, एक बीएसपी को
बलिया में विधानसभा की पांच सीटों पर बीजेपी, एक सीट पर सपा, एक बीएसपी
आजमगढ़ की 10 सीटों में से पांच पर सपा, चार पर बीएसपी और एक पर बीजेपी को कामयाबी मिली है।

क्या है जानकारों की राय
लोग कहते हैं कि आजमगढ़ में जातिगत समीकरण जिस तरह से वैसे में बीजेपी की राह आसान नहीं है। अगर 2017 के चुनाव को देखें तो बीजेपी और ओमप्रकाश राजभर की पार्टी में गठबंधन था और उसका नतीजा बलिया और मऊ की सीटों पर दिखाई भी दिया। इस दफा हालात अलग हैं। सुभासपा का सपा के साथ जाने से बीजेपी के लिए मुश्किल बढ़ जाएगी। दरअसल सपा का एमवाई समीकरण और सुभासपा का राजभर समाज पर पकड़ बीजेपी के लिए सिरदर्दी भरा साबित होगा। लेकिन इसके साथ ही आप पीएम मोदी के करिश्मे को नजरंदाज नहीं कर सकते हैं। 2017 से पहले की बात करें तो आजमगढ़ मंडल के जिलों में विकास की रफ्तार शून्य थी। लेकिन योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद तस्वीर बदली और उसके असर को लोग महसूस भी कर रहे हैं। 

अगर आप आजमगढ़ जिले की विधानसभा सीटों को देखें तो सपा का दबदबा है। ऐसे में अमित शाह का दौर दो मायनों में खास है कि पहला तो यह कि 2017 में बीजेपी को जितनी सीटों पर जीत मिली उस ट्रेंड को बरकरार रखा जाए। इसके साथ ही आजमगढ़ की सीटों पर बीजेपी की जीत सुनिश्चित कर पूरे यूपी को संदेश दिया जाए कि जिस तरह समाजवादी कुनबा आजमगढ़ को पूरब का इटावा मानता रहा है वो सिर्फ तिलिस्म था। बीजेपी के मऊ और बलिया में जीत को जारी रखने की चुनौती होगी। अमित शाह के दौरे से एक संदेश देने की कोशिश होगी यह इलाका बीजेपी खासतौर से पीएम मोदी के लिए भी खास है क्योंकि यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष अरविंद शर्मा उनके खासमखास अफसरों में रहे हैं। 

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