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सीएम योगी बोले-'अवसर को अनुकूल बनाकर चलने पर मिलती है सफलता',गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूर्णिमा उत्सव में हुए शामिल 

Updated Jul 13, 2022 | 16:54 IST

सीएम योगी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के साथ ही देश को आजादी दिलाने वाले महापुरुषों की जयंती पर भी विशिष्ट आयोजन होने चाहिए।

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यूपी सीएम योगी गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूर्णिमा उत्सव में हुए शामिल 
मुख्य बातें
  • जो अच्छा सोच नहीं सकते, वो अच्छा कर भी नहीं सकते : सीएम योगी
  • युगांतकारी घटना से जुड़कर प्रेरणा देते हैं सनातन संस्कृति के पर्व-त्योहार : सीएम योगी
  • गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूर्णिमा उत्सव में शामिल हुए मुख्यमंत्री, किया संतों का सम्मान

गोरखपुर:  गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जीवन में अवसर सबको मिलता है। उन अवसरों को सकारात्मकता के साथ अपने, समाज व देश हित के अनुकूल बनाकर आगे बढ़ने वाला ही सफल होता है। यदि किसी समस्या का समाधान करना है तो सकारात्मकता यानी अच्छी सोच होनी चाहिए। जो नकारात्मक हैं, अच्छा सोच नहीं सकते तो वे अच्छा कर भी नहीं सकते। सकारात्मक व्यक्ति समाधान का रास्ता बनाता है जबकि नकारात्मक व्यक्ति समाधान न होने के बहाने गिनाता है। 

गोरक्षपीठाधीश्वर गुरु पूर्णिमा पर्व पर बुधवार को गोरखनाथ मंदिर में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को गुरु की तरह जीवन का व्यावहारिक आशीर्ज्ञान देते हुए सीएम योगी ने कहा कि हमारे सनातन संस्कृति में पर्व-त्योहारों की विशिष्ट परंपरा किसी न किसी विशिष्ट व युगांतकारी घटना से जुड़कर हमें प्रेरणा देती है।

Guru Purnima 2022: बेमिसाल है गोरक्षपीठ की गुरु-शिष्य परंपरा, गुरु पूर्णिमा से है अटूट नाता

श्रीरामनवमी, वासंतिक नवरात्रि, शिवरात्रि, शारदीय नवरात्रि, विजयादशमी, दीपावली, मकर संक्रांति, श्रीकृष्णजन्माष्टमी, सावन में पावन ज्योतिर्लिंगों का जलाभिषेक, नाग पंचमी आदि पर्वों से जुड़ी युगांतकारी घटनाओं की जीव सृष्टि के संरक्षण तथा मानव कल्याण में बड़ी और स्मरणीय भूमिका रही है। ऐसा ही प्रमुख व पावन पर्व गुरु पूर्णिमा भी है। 

आदि गुरु को नमन कर बताईं गुरु की पांच श्रेणियां
गोरक्षपीठाधीश्वर ने आदि गुरु वेदव्यास को नमन करते हुए कहा कि महर्षि वेदव्यास जी की जयंती, व्यास पूर्णिमा ही गुरु पूर्णिमा के रूप में प्रतिष्ठित है। हमारे वैदिक ज्ञान को लिपिबद्ध कर कर सर्वसुलभ बनाने में युगांतकारी ऋषि वेदव्यास जी का अनिर्वचनीय योगदान है। उनके ग्रन्थ मानव सृष्टि पर बड़ी कृपा हैं। गुरु के रूप में वेदव्यास जी के प्रति श्रद्धा व सम्मान में किसी भी आयोजन में व्यास की गद्दी सर्वोच्च गद्दी मानी जाती है। गीता में भी श्रद्धा की दृष्टि का उल्लेख किया गया है। कहा भी जाता है, जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि। इसलिए हमारी दृष्टि सकारात्मक होनी चाहिए।
उन्होंने हर व्यक्ति के जीवन में पांच श्रेणी के गुरुओं का उल्लेख किया। ये गुरु हैं माता-पिता, भाई-बहन, बड़े-बुजुर्ग, शिक्षा गुरु व दीक्षा गुरु। ये सभी किसी न किसी रूप में हमारा मार्गदर्शन कर हमें जीवन पथ पर आगे बढ़ाते हैं। 

भारत की होगी आने वाली सदी : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व से जुड़ रहे हैं। आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर हमें शताब्दी वर्ष अर्थात अगले 25 वर्ष के लिए लक्ष्य बनाने और उसके अनुरूप कार्ययोजना बनानी होगी। हमारा लक्ष्य आजादी के शताब्दी वर्ष तक भारत को वैभवशाली और समृद्धतम देश बनाने का होना चाहिए। जैसे हम अभिभावक के रूप में अपने बच्चे के लिए लक्ष्य को लेकर सजग रहते हैं, वही भावना देश के प्रति भी होनी चाहिए। 

'सामूहिक प्रयास से आने वाली सदी भारत की होगी'
भारत दुनिया का नेतृत्व करेगा। विगत आठ वर्षों में भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और ताकत का दुनिया लोहा मान रही है। देश अपने लक्ष्यों के प्रति एकदम सही ट्रैक पर है। जरूरत इस बात की है कि हर व्यक्ति अपने अपने क्षेत्र में दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन करे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता ही मालिक होती है। उसके द्वारा चुने गए प्रतिनिधि उसकी भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसान, नौजवान, शिक्षक, छात्र, कर्मचारी, कलाकार, अधिवक्ता, व्यापारी सभी अपने क्षेत्र में अटूट निष्ठा व ईमानदारी से कार्य कर देश की लक्ष्य प्राप्ति में योगदान दे सकते हैं। 

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