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हाथरस पीड़िता जैसा न हो अंतिम संस्कार, यूपी सरकार ने कोर्ट के निर्देश पर बनाई SOP

Updated Aug 10, 2022 | 10:17 IST

Hathras Rape Case: हाथरस में 19 सितंबर 2020 को एक 19 साल की दलित लड़की के साथ 4 युवकों ने गैंगरेप कर, उसे घायल अवस्था में खेत में छोड़ दिया था। और बाद में ईलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी।

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सितंबर 2020 में हुआ था हाथरस कांड
मुख्य बातें
  • हाईकोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए एक अक्टूबर 2020 को राज्य सरकार को ऐसे हादसों में सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने के लिए SOP बनाने के लिए निर्देश दिए थे।
  • यूपी पुलिस ने 30 सितंबर की सुबह 3 बजे पीड़िता के शव को उसके गांव लाकर अंतिम संस्कार कर दिया था।
  • पीड़िता के माता-पिता का कहना था कि पुलिस ने उनकी इच्छा के विरूद्ध उसका अंतिम संस्कार कर दिया था।

Hathras Gang Rape Case: सितंबर 2020 में यूपी के हाथरस में एक लड़की के साथ हुए गैंगरेप और फिर उसकी मौत के बाद जिस तरह यूपी पुलिस ने उसका अंतिम संस्कार किया था। उसके बाद से आलोचना से घिरी सरकार ने अब ऐसे हालात में अंतिम संस्कार करने का नया SOP तैयार किया है। नई एसओपी इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश के बाद तैयार की गई है। जिसमें उसने कहा था कि सरकार ऐसी घटनाओं के लिए न केवल SOP बनाए, बल्कि पुलिस के लोगों को भी संवेदनशील बनाए, जिससे इस तरह की घटना का दोबारा सामना नहीं करना पड़ा। यूपी सरकार जल्द ही इस SOP को हाईकोर्ट में सबमिट करेंगे।

सुबह 3 बजे कर दिया था अंतिम संस्कार

हाथरस में 19 सितंबर 2020 को एक 19 साल की दलित लड़की के साथ 4 युवकों ने गैंगरेप कर, उसे घायल अवस्था में खेत में छोड़ दिया था। जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया  गया और हालत नाजुक होता देख फिर उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया था। जहां उसकी 28 सितंबर को मृत्यु हो गई थी। इसके बाद, यूपी पुलिस ने 30 सितंबर की सुबह 3 बजे पीड़िता के शव को उसके गांव लाकर, जल्दीबादी में अंतिम संस्कार कर दिया था। पीड़िता के माता-पिता का कहना था कि पुलिस ने उनकी इच्छा के विरूद्ध उसका अंतिम संस्कार कर दिया था।

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कोर्ट ने खुद लिया था संज्ञान

इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए एक अक्टूबर 2020 को राज्य सरकार को ऐसे हादसों में सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने के लिए SOP बनाने के लिए निर्देश दिए थे। जिसमें कोर्ट ने कहा था कि न केवल SOP को बनाकर नोटिफाई किया जाय बल्कि उसे लागू करने के लिए पुलिस स्टेशन, अस्पताल, प्राथमिक चिकित्सालय, जिला मुख्यालय, तहसील आदि जगह पर भी इसे प्रचारित  किया  जाय। साथ ही पुलिस वालों को ज्यादा संवेदनशील बनाने के लिए भी कहा था।

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