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भारत आ रहे हैं अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन, पूछे जा सकते हैं S-400 से जुड़े सवाल  

Updated Mar 15, 2021 | 15:30 IST

अक्टूबर 2018 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जब भारत की यात्रा पर आए थे तो नई दिल्ली ने 5.5 अरब डॉलर की कीमत से एस-400 के लिए करार पर हस्ताक्षर किए। भारत इस रक्षा प्रणाली को अपने लिए अहम बताता है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP
भारत आ रहे हैं अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन।
मुख्य बातें
  • दुनिया की बेहतरीन वायु रक्षा प्रणाली मानी जाती है S-400
  • भारत ने पांच वायु रक्षा प्रणाली के लिए रूस से किया है करार
  • आशंका है कि आपूर्ति होने पर अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है

नई दिल्ली : अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन इस सप्ताह भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। अमेरिका में जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद ह्वाइट हाउस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी की यह पहली भारत यात्रा है। भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग अब तक के अपने सबसे करीबी दौर से गुजर रहे हैं। अमेरिका में नेतृत्व हुआ है, ऐसे में अमेरिकी रक्षा मंत्री का भारत दौरा काफी अहम माना जा रहा है। सबसे बड़ा सवाल रूस के साथ वायु रक्षा प्रणाली S-400 के लिए हुए करार पर है। अमेरिकी प्रशासन सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन उसके थिंक टैंक समय-समय पर यह कहते आए हैं कि रूस से यह मिसाइल प्रणाली खरीदने पर भारत को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा सकता है। ऑस्टिन 19 से 21 मार्च तक भारत की यात्रा पर होंगे।

राजनाथ सिंह से मिलेंगे ऑस्टिन
हालांकि, भारत कभी अमेरिकी दबाव में नहीं आया और वह सौदे को लेकर आगे बढ़ता रहा है। भारत पहुंचने पर ऑस्टिन अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात करेंगे। जाहिर है कि अपनी इस यात्रा के दौरान अमेरिकी रक्षा मंत्री को एस-400 से जुड़े सवालों का जवाब देना पड़ सकता है। सबसे बड़ा और प्रमुख सवाल यह है कि रूस से यदि पांच एस-400 मिसाइल प्रणाली यदि पहुंचती है तो क्या अमेरिका अपने प्रमुख एवं बड़े रक्षा एवं रणनीतिक साझीदार भारत पर प्रतिबंध लगाएगा। इस सवाल का उत्तर भारतीय मीडिया अमेरिकी रक्षा मंत्री से जानना चाहेगी। 

S-400 के लिए रूस के साथ हुआ है करार 
अक्टूबर 2018 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जब भारत की यात्रा पर आए थे तो नई दिल्ली ने 5.5 अरब डॉलर की कीमत से एस-400 के लिए करार पर हस्ताक्षर किए। लेकिन इस बात की आशंका हमेशा बनी हुई है कि रूस से यह मिसाइल प्रणाली पहुंचने पर अमेरिका 'काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन एक्ट' (CAATSA) के तहत भारत पर प्रतिबंध की घोषणआ कर सकता है। हालांकि, अमेरिकी सांसदों में एक गुट ऐसा भी है जो यह चाहता है कि एस-400 पर भारत को छूट मिले। दरअसल,  यूक्रेन, क्रीमिया और सीरिया में रूस की कार्रवाई से अमेरिका नाराज है। वह रूस से हथियार खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाने की धमकी देता आया है।

सौदे पर आगे बढ़ा है भारत
अमेरिकी प्रतिबंध की आशंका के बावजूद भारत अपने इस करार को लेकर आगे बढ़ा है और दुनिया की इस बेहतरीन वायु रक्षा प्रणाली को हासिल करने के लिए अपनी तैयारी तेज की है। बीते समय में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जब भी रूस की यात्रा पर गए उन्होंने एस-400 की आपूर्ति जल्द करने के लिए रूसी अधिकारियों से बात की। बताया जाता है कि कोरोना संकट की वजह से इस मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति में देरी हुई है। भारत बार-बार इस बात पर जोर देता आया है कि दो मोर्चों चीन और पाकिस्तान का एक साथ सामना करने एवं उन्हें जवाब देने के लिए यह रक्षा प्रणाली उसके लिए बहुत जरूरी है। 

2021 के अंत से शुरू होगी आपूर्ति  
रिपोर्टों में रूस के फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री टेक्निकल कोऑपरेशन (एफएसएमटीसी) के डेप्युटी डाइरेक्टर व्लादिमीर द्रोझोव के हवाले से कहा गया है कि रूस 2021 की समाप्ति से भारतीय वायु सेना को एस-400 की आपूर्ति शूरू कर देगा। अधिकारी ने कहा, 'हम आपूर्ति से जुड़ी अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेंगे।' यही, नहीं वायु सेना के विशेषज्ञों एवं तकनीकशियनों की एक टीम मॉस्को के समीप खिमकी में मौजूद है जो इस वायु रक्षा प्रणाली के रखरखाव एवं संचालन से जुड़ प्रशिक्षण ले रही है। 

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