गृह मंत्रालय ने लोकसभा में बताया कि साल 2020 में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 361 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 54 लोगों को दोषी ठहराया गया। यह जानकारी गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने ओडिशा के कोरापुट से सांसद सप्तगिरी शंकर उलका द्वारा पूछे गए प्रश्न के लिखित उत्तर में साझा की गई। सवाल पूछा गया कि यूएपीए 1967 के तहत जेल में बंद विचाराधीन कैदियों की कुल संख्या कितनी है और कितने लोगों को किस आधार पर जमानत से इनकार किया गया।
राय ने कहा कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं। हालांकि, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा रिपोर्ट किए गए अपराध के आंकड़ों को संकलित करता है और इसे अपने वार्षिक प्रकाशन 'क्राइम इन इंडिया' में प्रकाशित करता है। नवीनतम प्रकाशित रिपोर्ट वर्ष 2020 के लिए है।
यह पूछे जाने पर कि प्रत्येक विचाराधीन यूएपीए कैदी बिना जमानत के जेल में कितना रहा है, मंत्री ने उत्तर दिया कि यूएपीए के तहत बिना जमानत के जेल में बंद प्रत्येक विचाराधीन कैदी की अवधि को एनसीआरबी द्वारा बनाए नहीं रखा गया है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति, जमानत पर व्यक्ति, दोषी व्यक्ति और बरी किए गए व्यक्तियों की संख्या के आधार पर उत्तर प्रदेश में गिरफ्तार व्यक्तियों की संख्या सबसे अधिक दर्ज की गई है। फिर नंबर जम्मू-कश्मीर और मणिपुर का आता है। जम्मू और कश्मीर में 346 और मणिपुर 225 लोगों को गिरफ्तार किया गया। मंत्री ने कहा कि यूएपीए के तहत दोषसिद्धि दर के मामले में यूपी में सबसे अधिक संख्या 54 है, उसके बाद तमिलनाडु 21, झारखंड 3 और जम्मू और कश्मीर 2 है। वहीं यूएपीए के तहत गिरफ्तार किए गए लेकिन जमानत पर बाहर आने वालों की सबसे ज्यादा संख्या जम्मू-कश्मीर में 103, तमिलनाडु में 44, केरल में 22 और मणिपुर 19 में थी।
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इसके अलावा उन्होंने बताया कि यूएपीए के तहत बरी किए गए गिरफ्तार लोगों की संख्या तमिलनाडु (50) से सबसे अधिक है और उसके बाद झारखंड (46), असम (13) और जम्मू-कश्मीर में चार हैं।
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