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अजब-गजब रही है उत्तराखंड की सियासत, 20 साल में 1 ही CM पूरा कर पाया है कार्यकाल

Uttarakhand has had just 1 CM completing his term till now
Updated Mar 11, 2021 | 12:29 IST

Uttarakhand News : राज्य में कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी ही एक मात्र ऐसे नेता रहे जिन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में अपना पांच वर्षों को कार्यकाल पूरा किया। तिवारी साल 2002 में राज्य के मुख्यमंत्री बने।

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Uttarakhand has had just 1 CM completing his term till nowUttarakhand has had just 1 CM completing his term till now
तस्वीर साभार:&nbspPTI
अजब-गजब रही है उत्तराखंड की सियासत।
मुख्य बातें
  • साल 2000 में भाजपा से अलग होकर अलग राज्य बना उत्तराखंड
  • इस राज्य में बारी-बारी से भाजपा और कांग्रेस की सरकार बनती रही है
  • त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के 8वें मुख्यमंत्री थे, अब तीरथ सिंह रावत बने सीएम

नई दिल्ली : उत्तराखंड की सियासत का रंग अजीब ढंग का रहा है। साल 2000 में यूपी से अलग होकर यह राज्य अस्तित्व में आया। पिछले 20 सालों में इस राज्य ने आठ मुख्यमंत्री देख लिए हैं लेकिन विडंबना है कि अभी तक केवल एक ही मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा कर पाया है। अन्य मुख्यमंत्री अलग-अलग वजहों के चलते अपना कार्यकाल अधूरा छोड़कर पद खाली करते रहे। मंगलवार की शाम मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले भाजपा के त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्य के आठवें मुख्यमंत्री थे। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 में से 57 सीटें जीती थीं और इसके बाद उसने रावत को सीएम बनाया था। राज्य में अगले साल विस चुनाव होने हैं। अब नए सीएम तीरथ सिंह रावत के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई है।  

पार्टी नेताओं की नाराजगी के चलते गई रावत की कुर्सी
उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी जाने के पीछे पार्टी के नेताओं की नाराजगी बताई जा रही है। पार्टी के नेता एवं सांसद त्रिवेंद्र की कार्यशैली से खुश नहीं थे। इसकी शिकायतें उन्होंने पार्टी आलाकमान तक पहुंचाई थीं जिसके बाद भाजपा नेतृत्व ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह और उत्तराखंड के प्रभारी दुष्यंत गौतम को पार्टी नेताओं से फीडबैक लेने के लिए कहा था। इस बातचीत में पार्टी के नेताओं एवं सांसदों ने त्रिवेंद्र सिंह के खिलाफ अपनी चिंताएं जारी कीं। इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह दिल्ली तलब किए गए। फिर उनसे पद छोड़ने के लिए कहा गया। बुधवार शाम रावत ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्या से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया।

एनडी तिवारी ने पूरा किया 5 साल कार्यकाल
राज्य में कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी ही एक मात्र ऐसे नेता रहे जिन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में अपना पांच वर्षों को कार्यकाल पूरा किया। तिवारी साल 2002 में राज्य के मुख्यमंत्री बने और उन्होंने 36 विधायकों के साथ पांच वर्षों का अपना कार्यकाल पूरा किया। तिवारी से पहले भाजपा के नित्यानंद स्वामी ने राज्य में पहली सरकार बनाई लेकिन वह मुख्यमंत्री पद पर एक साल भी नहीं रह पाए। भाजपा ने तिवारी की जगह बीएस कोश्यारी को सीएम बनाया। कोश्यारी इस समय महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। 

2002 में भाजपा चुनाव हारी
भाजपा ने कोश्यारी के नेतृत्व में 2002 का चुनाव लड़ा लेकिन वह हार गई। इस चुनाव में नारायण दत्त तिवारी ने जीत दर्ज की और कांग्रेस के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। अगले विस चुनाव 2007 में भाजपा ने जीत दर्ज करते हुए रिटायर्ड मेजर जनरल बीसी खंडूरी को सीएम बनाया और कोश्यारी को राष्ट्रीय राजनीति में ले आई। दो वर्षों के बाद खंडूरी सीएम पद से हटाए गए और उनकी जगह रमेश पोखरिलया निशंक ने ली। दो साल दो महीने के बाद पोखरिया को हटाते हुए भाजपा एक बार फिर खंडूरी को वापस ले आई। साल 2012 के चुनाव में भाजपा अपनी सत्ता नहीं बचा पाई और राज्य में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बनी। 

सीएम बनते और हटते रहे हरीश रावत
साल 2012 के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों में से किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। इस चुनाव में भाजपा को 31 और कांग्रेस को 32 सीटें मिलीं। कांग्रेस ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के तीन और निर्दलीय विधायकों का समर्थन लेते हुए अपनी सरकार बनाई। अगले पांच सालों में राज्य में हरीश रावत सहित कांग्रेस के चार मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस ने पहले विजय बहुगुणा को सीएम पद की कमान दी। 2013 की आपदा के बाद प्रबंधन ठीक से न संभालने के लिए बहुगुणा की काफी आलोचना हुई। कांग्रेस ने बहुगुणा की जगह हरीश रावत को सीएम बनाया। इसके बाद उत्तराखंड कांग्रेस में खींचतान एवं उथल-पुथल की लड़ाई कई बार कोर्ट तक पहुंची। बीच-बीच में रावत सीएम भी बनते रहे। खास बात यह है कि नारायण दत्त तिवारी के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री के पद पर सबसे ज्यादा दिनों तक रहे। 

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