- मौत के टनल के अंदर की दहशत की पूरी कहानी, रौंगटे खड़े कर देने वाली है इनकी आपबीती
- उत्तराखंड के तपोवन स्थित टनल से बचाए गए थे 12 लोग
- अभी भी कई लोग टनल के अंदर हैं फंसे, रेक्स्यू ऑपरेशन है जारी
नई दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने के बाद आई आपदा के बाद से बचाव और राहत का कार्य अभी भी चल रहा है। तपोवन स्थित एनटीपीसी की टनल में फंसे 39 वर्कर्स को बचाने के लिए जद्दोजहद जारी है। टनल में अब ड्रिलिंग कर होल किया जा रहा है तांकि अन्य लोगों का पता लगाया जा सके। इन सबके बीच 12 लोगों को पहले ही बचा लिया गया है। इन लोगों में से कई लोगों ने अपने जो अनुभव साझा किए वो रोंगटे खड़े कर देने वाले हैं।
राकेश कुमार आज भी सिहर उठते हैं
इस हादसे में मौत को मात देकर लौटे जोशीमठ के राकेश कुमार ने एक मीडिया चैनल से बात करते हुए उस खौफनाक मंजर को याद करते हुए बताया कि कैसे उस दिन अचानक से टनल के अंदर पानी घुस गया था। राकेश आज भी मंजर को याद करते हुए सिहर उठते हैं। राकेश बताते हैं कि हमेशा की तरह हम टनल के अंदर काम कर थे अचानक से देखा बाढ़ के रूप में पानी टनल के अंदर आता दिखा। टनल के अंदर उस सय एक जगह पर मौजूद 12 लोगों को समझने में देर नहीं लगी कि यह कोई बड़ा हादसा हो चुका है, क्योंकि टनल के अंदर की लाइट भी चले गई थी।
अचनाक से घुस गया था बाढ़ का पानी
राकेश कुमार बताते हैं, ' टनल में हमारे ऊपर दो या तीन मीटर ऊपर चले गया था पानी, टनल बंद हो चुकी थी और आगे लगे थे पत्थर। हम इस दौरान सुरंग के 250-300 मीटर अंदर थे। उम्मीद की एक किरण थी। काफी देर तक लोहे की सरिया पकड़कर खड़े रहे वहां जेसीबी खड़ी थी उसकी छत पर खड़े रहे। जब पानी थोड़ा कम हुआ तो फिर हम लोगों ने एक -दूसरे को आवाज दी.. सभी 12 लोग आसपास थे। करीब 300-350 मीटर अंदर थे टनल के। पानी के अंदर पूरी गाद भरी हुई थी। उसके बाद थोड़ा आगे बढ़े तो मोबाइल नेटवर्क आने लगे जहां से हमने अपने अधिकारी से संपर्क साधा। वो भी हैरान रह गए। बाद में आईटीबीपी की मदद से हमें बाहर निकाला गया।'
पानी का रेला
इन सभी लोगों को लगा कि कोई सिलेंडर फटने की वजह से हादसा हुआ लेकिन पानी के बाद समझ गए कि कहीं बादल फटा है। हादसे में बचे बसंत कुमार ने बीबीसी को बताया, 'अचानक से हमने देखा कि भयंकर धुआं अंदर आया और कान एकदम सुन्न हो गए। इसके बाद पानी का रेला जब सुरंग में घुसा तो समझ आ गया कि कुछ अनहोनी हो गई है। हम सब जेसीबी की छत पर बैठ गए। सुरंग में 7 घंटे गुजारना बेहद कठिन था। हमारे जूतों में मलबा फंस गया था और ठंड से पांव अलग से जाम हो गए थे।'
इस दौरान फंसे लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी लेकिन आईटीबीपी द्वारा किसी तरह 12 लोगों को रेस्क्यू करने के लिए चलाए गए अभियान में जल्द ही सफलता मिली और सभी 12 लोगों को बचा लिया गया।