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ये है इंसान को लेकर उड़ने वाला पहला इंडियन ड्रोनः नहीं पड़ेगी पायलट की जरूरत, PM ने भी देखा कमाल; जानें- क्यों है खास?

अभिषेक गुप्ता | Principal Correspondent
Updated Jul 20, 2022 | 15:26 IST

डेमो के समय बगैर पायलट वाला यह ड्रोन करीब दो मीटर ऊंचाई तक उड़ा और जमीन पर लैंड करने से पहले आगे-पीछे भी हुआ। 

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तस्वीर साभार:&nbspANI
नई दिल्ली में ड्रोन का ट्रायल देखते हुए पीएम मोदी।
मुख्य बातें
  • भारत के एक स्टार्ट-अप ने नौसेना के लिए किया तैयार
  • पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्रायल के दौरान देखा इसका कमाल
  • जंगी जहाज पर लैंडिंग संग कर सकेगा टेक-ऑफ

डिफेंस के मोर्चे पर भारत को एक और कामयाबी मिली है। इंसान को लेकर उड़ने वाला पहला इंडियन ड्रोन आ गया है। खास बात है कि इसमें किसी पायलट की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। नई दिल्ली में 18 जुलाई, 2022 को इसका ट्रायल हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस दौरान इसका कमाल देखा, जबकि नौसेना के सीनियर आलाधिकारियों ने उन्हें इसकी बारीरियां बताईं।

दरअसल, पीएम दिल्ली के डॉ.अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन (एनआईआईओ) के सेमिनार 'स्वावलंबन' में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इसी बीच, उन्हें वरुण नाम के इस खास ड्रोन के बारे में बताया गया। डेमो के समय बगैर पायलट वाला यह ड्रोन करीब दो मीटर ऊंचाई तक उड़ा और जमीन पर लैंड करने से पहले आगे-पीछे भी हुआ। 

यह ड्रोन विशेष तौर पर भारतीय नौसेना के लिए बनाया गया है, जिसे अपने हिंदुस्तान के ही एक स्टार्ट-अप ने डिजाइन किया है। कंपनी का नाम है- सागर डिफेंस इंजीनियरिंग। कंपनी के सीईओ निकुंज पराशर ने अंग्रेजी बिजनेस वेबसाइट 'दि फाइनैंशियल एक्सप्रेस' को इस बारे में बताया कि यह बड़े ही गर्व की बात रही कि पीएम के सामने दिल्ली में हमारे प्रोडक्ट का डेमो हुआ।  

पराशर के मुताबिक, वरुण ड्रोन दो हिस्सों में रेडी किया गया। पहला टेक्नोलॉजी, जो इसे चलते हुए जंगी जहाज पर लैंडिंग और टेकऑफ में मदद करती है, जबकि दूसरा- इसका खुद का प्लैटफॉर्म है। ड्रोन की लैंडिंग और टेक-ऑफ तकनीक को नौसेना के डीएसआर के साथ मिलकर विकसित किया गया है और वरुण को मौजूदा समय में एनटीडीएसी (नेवल टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एक्सिलेरेशन सेल) के साथ विकसित किया जा रहा है।

उनके अनुसार, "30 ऐसे ड्रोन जो युद्धपोतों से उतर सकते हैं और उड़ान भर सकते हैं, उन्हें नौसेना को दिया गया है और यह भी पहली बार है कि भारतीय नौसेना युद्धपोतों पर ड्रोन शामिल कर रही है।"

शुरुआत में इन का इस्तेमाल सामान लाने-ले जाने के लिए किया जा सकता है। चार ऑटो-पायलट मॉडल हैं, जो ड्रोन को उड़ान जारी रखने में मदद करते हैं। भले ही कुछ पंखे काम करने में विफल हो जाएं, पर इस नए व्हीकल में सामान और कर्मचारियों के इंटर-शिप ट्रांसफर के लिए उपयोग की क्षमता है। 

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