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खूंखार चंदन तस्कर वीरप्पन, जो सिर काटकर खेलता था फुटबॉल, उसकी वकील बेटी बीजेपी में हुई शामिल

Updated Feb 23, 2020 | 12:34 IST

खूंखार चंदन तस्कर वीरप्पन की बेटी विद्यारानी ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव ने विद्यारानी को पार्टी की सदस्यता दिलाई।

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खूंखार चंदन तस्कर वीरप्पन की बेटी ने थामा बीजेपी का 'कमल'
मुख्य बातें
  • बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव की मौजूदगी में विद्यारानी ने थामा पार्टी का दामन
  • पेशे से वकील हैं वीरप्पन की बेटी विद्यारानी, सार्वजनिक कार्यों में भी करती हैं हिस्सेदारी
  • मेरे पिता के रास्ते जरूर गलत थे लेकिन उन्होंने हमेशा गरीबों के बारे में ही सोचा- विद्यारानी

कृष्णागिरी: खूंखार चंदन तस्कर वीरप्पन के बारे में कौन नहीं जानता है। वीरप्पन की खूंखारी के किस्से आज भी मशहूर हैं। वीरप्पन के बारे में एक किस्सा आज भी चर्चित है कहा जाता है कि एक बार उसने भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अधिकारी पी श्रीनिवासन का सिर काट दिया था और फिर सिर को लेकर अपने साथियों के साथ फुटबॉल खेली थी। दरअसल श्रीनिवास ही वह शख्स थे जिन्होंने वीरप्पन को पहली बार अरेस्ट किया था। अब खबर आई है कि वीरप्पन की बेटी विद्यारानी बीजेपी में शामिल हो गई हैं।

वकील हैं वीरप्पन की बेटी

 विद्यारानी पेशे से वकील हैं जिन्हें शनिवार को भारतीय जनता पार्टी के महासचिव मुरलीधर राव की उपस्थिति में बीजेपी की सदस्यता दिलाई गई। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णन भी मौजूद रहे।  दरअसल बीजेपी तमिलनाडु में आदिवासियों इलाकों में अपनी पैठ बनाने की जुगत में लगी है। इस दौरान विद्यारानी ने कहा, 'पिता का तरीका शायद गलत था लेकिन उन्होंने हमेशा गरीबों की मदद की।'

प्रेम विवाह करने के बाद चर्चा में आई थी विद्यारानी

विद्यारानी से जब मीडिया ने बात करनी चाही तो उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया। इस दौरान विद्यारानी के साथ उनके कई समर्थक भी बीजेपी में शामिल हुए। ससे पहले विद्या रानी उस समय चर्चा में आई थी जब उन्होंने एक क्रिस्चन शख्स मारिया दीपक के साथ प्रेम विवाह किया था।

इस कार्यक्रम का आयोजन कृष्णानगर में किया गया था। इस अवसर पर तमिलनाडु बीजेपी प्रभारी राव ने डीएमके को चुनौती देते हुए कहा कि यदि वो साबित कर देते हैं कि सीएए भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ है तो वह राजनीति छोड़ देंगे। 

 2004 में ऐसे मारा गया था वीरप्पन

 चन्दन की तस्करी के साथ-साथ वीरप्पन हाथी दांत की तस्करी भी करता था। घने जंगलों में रहने वाले वीरप्पन ने कई पुलिस और वन अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया था।  वीरप्पन को लेकर फिल्म भी बनी थी। वीरप्पन की कई कहानियां आज प्रचलित हैं।  18 अक्टूबर 2004 को वीरप्पन एक पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था। वीरप्पन को मारने की योजना भी बड़ी खुफिया थी। वीरप्पन को पकड़ने के लिए तब के एसटीएफ चीफ विजय कुमार ने पहले वीरप्पन के गैंग में अपने आदमियों को घुसा दिया था। उसके बाद जब वीरप्पन अपनी आंख का इलाज कराने एक एंबुलेंस में जा रहा था तो उसे भी अंदाजा नहीं था कि जिसमें वह बैठा है वह पुलिस की एंबुलेंस है। कुछ दूर जाने के बाद एंबुलेंस का ड्राइवर भाग गया। इसके बाद घात लगाकर बैठी पुलिस ने एंबुलेंस पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी और वीरप्पन मारा गया।

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