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West Bengal Elections 2021: कांग्रेस ने जारी की स्टार प्रचारकों की सूची, G-23 के नेताओं के नाम नदारद

Updated Mar 12, 2021 | 19:42 IST

पश्तिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के लिए कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है। खास बात यह है कि उस सूची में जी-23 के एक भी नेता का नाम नहीं है।

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पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए कांग्रेस की तरफ से स्टार प्रचारकों की सूची जारी
मुख्य बातें
  • बंगाल चुनाव के लिए कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की
  • स्टार प्रचारकों की लिस्ट में जी-23 के नेताओं के नाम नदारद
  • सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मनमोहन सिंह होंगे खास कैंपेनर

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के मतदाता आठ चरणों के मतदान में कौन सी पार्टी सरकार बनाएगी उसका फैसला कर देंगे। जैसे जैस चुनावी तारीख नजर आ रही है वैसे वैसे बंगाल में सियासी पारा चढ़ रहा है। बीजेपी की स्टॉर कैंपेनर लिस्ट के बाद कांग्रेस ने भी चुनाव प्रचारकों की लिस्ट जारी की है और यह लिस्ट इस मायने में खास है कि जी-23 के नेताओं को जगह नहीं मिली है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी के साथ मनमोहन सिंह मतदाताओं के दिल को लुभाने की कोशिश करेंगे। 

स्टार प्रचारकों की लिस्ट में जी-23 गायब
बीके हरिप्रसाद, सलमान खुर्शीद, रणदीप सुरजेवाला, जितिन प्रसाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत, कैप्टन अमरिंदर सिंह, भूपेश बघेल, कमलनाथ, अधीर रंजन चौधरी, का नाम शामिल हैं। लेकिन गुलाम नबी आजाद, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा कपिल सिब्बल का नाम इस सूची से गायब है। दरअसल कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की लिस्ट इसलिए खास है क्योंकि जम्मू और हरियाणा में जब जी-23 के नेता मिले थे तो पत्रकारों ने गुलाम नबी आजाद से सवाल पूछा था कि एक तरफ तो वो बगावती सुर अख्तियार कर रहे हैं। 

क्या कहते हैं जानकार
अब सवाल यह है कि जानकार इस मुद्दे पर क्या कहते हैं। इस सवाल का जवाब कुछ यूं है। कुछ लोगों का मानना है कि पार्टी में राहुल गांधी को लगता है कि कुछ वरिष्ठ नेताओं को जिस तरह से 2019 के आम चुनाव में मेहनत करनी चाहिए थे उससे वो खुद दूर रहे। 2019 के आम चुनाव में पार्टी के पास नरेंद्र मोदी के खिलाफ बहुत से मुद्दे थे जिस पर घेरेबंदी की जा सकती थी। लेकिन जमीनी स्तर पर अनुभवी नेता बीजेपी को किसी न किसी रूप में मदद पहुंचाते रहे। इसके साथ ही जब सोनिया गांधी को लिखी गई चिट्ठी लीक हुई को तो उसे जानबूझकर पार्टी को बदनाम करने की नीयत से किया गया। 

इसके अलावा जानकार कहते हैं कि 21वीं सदी में भारत के युवाओं की प्राथमिकताएं बदल चुकी हैं और अब उस हिसाब से आगे बढ़ना होगा और जब पार्टी उस दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है तो कुछ ऐसे चेहरे हैं जो ब्रेक की तरह काम कर रहे हैं। या यूं कह सकते हैं युवा पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी में सोच के स्तर पर कहीं न कहीं गैप है और उसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ रहा है। 

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