- चुनाव आयोग का बयान, राज्य की कानून व्यवस्था नहीं संभाली है, यह सब अस्थायी व्यवस्था होती है
- बिना पूरे साक्ष्यों के किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचना गलत
- आयोग के ऊपर जो आरोप लगाए जा रहे हैं वो सतही और पू्र्व संकल्पना पर आधारित है।
कोलकाता। एसएसकेएम अस्पताल के मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक सीएम ममता बनर्जी की हालत अब पहले से बेहतर है। डॉ एम बंद्योपाध्याय ने बताया कि 6 सदस्यों वाली टीम ने उनकी दोबारा जांच की और उनकी हालत में सुधार है। हालांकि बायीं एड़ी में चोट है जिसका उपचार चल रहा है। इन सबके बीच चुनाव आयोग ने टीएमसी के उन आरोपों का जवाब दिया है अब राज्य की कानून व्यवस्था आयोग के हवाले है लिहाजा आयोग को जिम्मेदारी लेनी होगी।
कानून- व्यवस्था की मशीनरी नहीं संभाली
निर्वाचन आयोग का कहना है कि यह कहना पूरी तरह से गलत है कि आयोग ने चुनाव कराने और पूरे शासन ढांचे को लागू करने के नाम पर राज्य में कानून और व्यवस्था मशीनरी को संभाल लिया है।भारत निर्वाचन आयोग का कहना है कि 'यह वास्तव में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और इसे तुरंत और प्रेषण के साथ पूछताछ करने की आवश्यकता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह अंतर्दृष्टि और सतही व्याख्या करने जैसा है ।
बिना रिपोर्ट तथ्यों पर पहुंचना सही नहीं
इसी तरह, एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) को भी विशेष पर्यवेक्षकों द्वारा मन के आवेदन के बाद बदल दिया गया था। जब चुनावों की घोषणा हो चुकी है, तो राज्य सरकार से परामर्श करना कानूनी रूप से आवश्यक या अनिवार्य नहीं है क्योंकि ये सामान्य रूप से अस्थायी उपाय हैं।जब तक आयोग के पास रिपोर्ट उपलब्ध नहीं हो जाती, तब तक किसी भी अनुभवजन्य निष्कर्ष को निकालना संभव नहीं होगा।
क्या है मामला
नंदीग्राम से पर्चा दाखिल करने के बाद ममता बनर्जी वापस लौट रही थीं। सैकड़ों की संख्या में लोग उनसे मिलने के लिए पहुंचे और उस दौरान वो जख्मी हो गईं। ममता बनर्जी ने पहले कहा कि साजिश हुई है हालांकि गुरुवार को उनके टोन में नरमी थी। उनके बयान में साजिश का नाम नहीं आया। हालांकि टीएमसी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि अब राज्य की कानून व्यवस्था आयोग की है। लिहाजा सीएम के साथ जो कुछ हुआ उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इसके साथ ही पूरे घटनाक्रम को डीजीपी और एडीजी को हटाए जाने से भी जोड़कर की गई।