नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बंगाल चुनाव के बाद हिंसा प्रभावित लोगों से असम के अगोमणि क्षेत्र के रणपगली शिविर में मुलाकात की। उन्होंने कहा कि राज्य में लोग थाने जाने से डर रहे हैं। सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं से पुलिस डरी हुई है। मैंने उन्हें वापस आने के लिए प्रोत्साहित किया है, मैं अपने सीने पर गोली लूंगा। मैं सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ मुख्यमंत्री से बात करूंगा। उन्हें जनादेश मिला है। सीएम को टकराव छोड़ना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'सीतलकुची की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन उन्होंने इसे नरसंहार और कोल्ड-ब्लड हत्या कहा। शपथ लेने के बाद उन्होंने (सीएम) एसआईटी का गठन किया और एसपी को निलंबित किया। मैं सीएम से पूछना चाहता हूं कि जब पूरा राज्य जल रहा है, क्या आप कुछ और नहीं देख सकती?'
'हम कानून-व्यवस्था से दूर जा रहे हैं'
धनखड़ ने कहा, 'लोगों के घर किस तरह से बर्बाद हुए, व्यापारी संस्थानों का क्या हाल किया गया है। ये सब एक ही कारण से किया गया कि दुनिया के सबसे बड़े प्रजातंत्र में आपने इतनी बड़ी हिमाकत क्यों कर ली कि अपनी मर्जी से वोट दे रहे हो। क्या प्रजातंत्र में वोट देने की सजा मौत है। प्रजातांत्रिक मूल्यों पर कुठाराघात हो रहा है, हम कानून-व्यवस्था से दूर जा रहे हैं। इसकी शुरुआत चुनाव के दौरान ममता बनर्जी ने की, जब उन्होंने पहली बार जनता को चेतावनी दी कि केंद्रीय बल कब तक रहेंगे, उनके जाने के बाद कौन बचाएगा। मुझे उनसे इस प्रकार की उम्मीद नहीं थी।'
शिविर में रहे लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने दो मई को चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से बंगाल में अपने घर छोड़ दिए हैं। राज्यपाल को सीतलकूची में काले झंडे दिखाए गए जहां चार ग्रामीण चुनाव के दौरान केंद्रीय बलों की गोलीबारी में मारे गए थे जबकि जिले के दिनहाटा में उनके दौरे के वक्त 'वापस जाओ' के नारे लगाए गए।
मैंने लोगों की आंखों में पुलिस का खौफ देखा: धनखड़
इससे पहले राज्यपाल गुरुवार को कूच बिहार में हिंसा प्रभावित इलाकों में गए। यहां उनका विरोध हुआ। यहां उन्होंने कहा, 'लोगों ने अपने घर छोड़ दिए हैं और जंगलों में रह रहे हैं। महिलाएं मुझसे कहती हैं कि वे (गुंडे) एक बार फिर वहां आएंगे और राज्यपाल के सामने सुरक्षा की ऐसी विफलता है। मैं इससे हैरान हूं। मैं सोच सकता हूं कि यहां के लोग किस दौर से गुजर रहे होंगे। यह कानून के शासन का पतन है। मैं यह कभी सोच भी नहीं सकता था। मैंने लोगों की आंखों में पुलिस का खौफ देखा है, पुलिस के पास जाने से डरते हैं, उनके घर लूटे गए। मैं वास्तव में हैरान हूं, यह लोकतंत्र का विनाश है।'
मुख्यमंत्री का व्यवहार उचित नहीं: राज्यपाल
उन्होंने कहा कि जब मैंने राज्य सरकार से कहा कि मैं चुनाव के बाद हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करूंगा, तो सीएम ने कहा कि राज्यपाल राज्य सरकार की अनुमति के बिना क्षेत्रों का दौरा नहीं कर सकते। मैं दंग रह गया था। मैंने सीएम को लिखा और उनसे कहा कि यह असंवैधानिक है और मैंने अपनी यात्रा शुरू की। मैंने जितना सोचा था, स्थिति उससे कहीं अधिक चिंताजनक है। यह आपके लिए, मेरे और सभी के लिए चिंता का विषय है कि 4 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव हुए, लेकिन केवल पश्चिम बंगाल में हिंसक घटनाएं क्यों हुईं। मैंने विश्लेषण किया कि चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री का व्यवहार उचित नहीं था। यह लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ था।