Cheetah in India: नामीबिया से भारत लाए गए आठ चीता अब भारत के साथ मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क की शोभा बढ़ा रहे हैं। हालांकि, आम लोग इनकी चाल और कमाल का दीदार फिलहाल नहीं कर सकेंगे। जब तक ये चीते पूरी तरह से पार्क को अपना घर नहीं मान लेते, तब तक वहां जाने की किसी को अनुमति नहीं मिलेगी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोगों से अपील की कि वे फिलहाल वहां न जाएं। चीता को देखने के लिए धैर्य रखें और कुछ समय इंतजार करें। वैसे, जो आठ चीते लाए गए हैं, उनमें पांच मादा और तीन नर हैं। खास बात है कि इन सभी के अपने-अपने नाम और पहचान हैं। इनमें से एक को पीएम मोदी ने भी नाम दिया है। पीएम ने मादा चीता का नाम आशा (चार बरस) रखा है। पहले इसका नाम नहीं रखा गया था।
ढाई साल के एक अन्य चीता का नाम Tbilsi रखा गया है, जिसका जन्म Erindi Private Game Reserve (नामीबिया) में हुआ था, जबकि इन सभी सबसे उम्रदराज चीता आठ साल की है और उसका नाम शाशा (Sasha) है। वहीं, साशा की करीबी दोस्त का नाम सवानाह ( Savannah) है। एक अन्य फीमेल चीता का नाम सियाया है। तीनों नर चीता की बात करें तो इनके नाम इस प्रकार हैंः फ्रेडी (Freddie), एल्टन (Elton) और ओबान (Oban) हैं।
'चीता मित्रों' से क्या बोले PM?
पीएम मोदी ने चीता मित्रों से संवाद के दौरान से पूछा कि इंसान को पशु से खतरा है या पशु को इंसान से? चीता मित्रों का जवाब था कि इंसान से पशुओं को ज्यादा खतरा है। प्रधानमंत्री ने चीता मित्रों से फिर पूछा यह पक्का है तो जवाब मिला हां पक्का है। आगे प्रधानमंत्री ने पूछा कि आपको ज्यादा मेहनत इंसान को समझाने में करना है या पशु को समझाने में। तो जवाब मिला इंसान को समझाने में। इसके साथ ही चीता मित्रों ने कूनो के आसपास के लोगों को चीता के बारे में समझाने की भी बात कही। दरअसल, वन विभाग ने चीतों की सुरक्षा के लिए आसपास के 10 गांव के 457 चीता मित्र तैनात किये हैं। यह चीता मित्र इस नेशनल पार्क के आसपास के लोगों को चीता के बारे में जागरुक करने का काम भी करेंगे।
हैदराबाद चिड़ियाघर में भी है चीता, सऊदी ने किया था गिफ्ट
वैसे, हैदराबाद के नेहरू जूलॉजिकल पार्क में एक चीता है। इसे सऊदी अरब ने एक दशक पहले गिफ्ट के रूप में दिया था। दरअसल, वहां सीओपी 11 शिखर सम्मेलन-2012 के मौके पर चिड़ियाघर के अपने दौरे के दौरान सऊदी राजकुमार बंदर बिन सऊद बिन मोहम्मद अल सऊद ने दो जोड़े अफ्रीकी शेर और चीते उपहार में दिए थे। जू साल 2013 में सऊदी अरब के राष्ट्रीय वन्यजीव अनुसंधान केंद्र से इन्हें लेकर आया था। मादा चीता की दो साल पहले मौत हो गई थी, जबकि अब्दुल्ला नाम के नर चीता को चिड़ियाघर में रखा गया है। मादा चीता हिबा का 2020 में आठ साल की उम्र में निधन हो गया। वो पैरापलेजिया बीमारी की वजह से जिंदगी की जंग हार गई थी।
कार से तेज दौड़ने में सक्षम है चीता, पर...
वैसे, कम ही लोग जानते हैं कि चीता महज तीन सेकंड में 100 मीटर की दौड़ लगा सकता है जो अधिकतर कारों से कहीं तेज है लेकिन वह आधा मिनट से ज्यादा अपनी यह रफ्तार कायम नहीं रख सकता। यह रफ्तार कितनी ज्यादा है इसे इस बात से समझ सकते हैं कि दुनिया के सबसे तेज धावक और ओलंपिक चैम्पियन उसेन बोल्ट का 100 मीटर की स्पर्धा में विश्व रिकॉर्ड 9.89 सेकंड है। दिल्ली के वन्यजीव पत्रकार और लेखक कबीर संजय का कहना है कि चीते को उसकी शानदार गति के लिए जाना जाता है लेकिन उसमें इस गति को ज्यादा देर तक बरकरार रखने की ताकत नहीं होती है।
शिकार की सफलता दर 40 से 50 फीसदी- वन्यजीव पत्रकार
उन्होंने कहा बताया, ‘‘चीता तेज धावक है, न कि मैराथन दौड़ने वाला। चूंकि वह लंबे समय तक अपनी गति बरकरार नहीं रख सकता तो उसे 30 सेकंड या उससे कम समय में शिकार को पकड़ना होता है। अगर वह तेजी से शिकार नहीं कर पाता है तो वह हार मान लेता है और इस तरह उसके शिकार की सफलता दर 40 से 50 फीसदी है।’’ उनके मुताबिक, अगर चीता शिकार कर भी लेता है तो वह आम तौर पर थक जाता है और उसे कुछ समय तक आराम करना होता है। यही वजह है कि तेंदुए, कड़बग्घे और जंगली कुत्ते जैसे मांसाहारी जीव अक्सर उसके शिकार को लूट लेते हैं। उन्होंने अपनी किताब ‘चीता : भारतीय जंगलों का गुम शहजादा’ में कहा है कि यहां तक कि गिद्ध भी उनके शिकार को छीन सकते हैं और चीते के पास ऐसी श्रेणी के अन्य जानवरों की तुलना में कम ताकत होती है।