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सड़क पर किसान और विज्ञान भवन में बातचीत, आखिर साढ़े सात घंटे के मंथन में क्या निकला

Updated Dec 03, 2020 | 20:48 IST

विज्ञान भवन में करीब साढ़े सात घंटे तक किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच चौथे दौर की बातचीत हुई। इस वार्ता में क्या कुछ निकल कर सामने आया इसके बारे में जानना जरूरी है।

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विज्ञान भवन में साढ़े सात घंटे तक किसानों और सरकार में हुई वार्ता
मुख्य बातें
  • विज्ञान भवन में चौथे दौर की बातचीत रही बेनतीजा, अगले दौर की वार्ता पांच दिसंबर को
  • कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बोले, एमएसपी और एपीएमसी को और करेंगे मजबूत
  • कृषि मंत्री ने आंदोलनरत किसानों ने आंदोलन वापस लेने की अपील की

नई दिल्ली। अन्नदाता इस समय दिल्ली के बॉर्डर पर जमा हैं। किसानों और केंद्र सरकार दोनों के पास सिर्फ एक ही मुद्दा है नए कृषि कानून। किसान संगठन नए कृषि कानून के रंग को काला बता रहे हैं तो सरकार समझा रही है वो लोग जो सोच रहे हैं वैसा कुछ भी नहीं। गुरुवार को विज्ञान भवन में किसान संगठन के नेताओं और सरकार के बीच करीब 7.30 घंटे तक मंथन हुआ लेकिन नतीजा कुछ न नहीं निकला अब एक और दौर की बातचीत 5 दिसंबर को होगी। 

एमएसपी खत्म नहीं करेंगे मजबूत
चौथे दौर की वार्ता के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर विज्ञान भवन के बाहर निकले और पत्रकारों के सवालों का जवाब देना शुरू किया। उन्होंने कहा कि अब जब कि बातचीत चल रही है तो सर्दी को देखते हुए और उसके साथ दिल्ली वालों की समस्या को देखते हुए किसानों को आंदोलन वापस ले लेना चाहिए। इसके साथ ही एमएसपी और मंडी समितियों के मुद्दों पर भी उन्होंने अपनी स्पष्ट राय रखी।

5 दिसंबर को एक और दौर की वार्ता
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि एमएसपी और एपीएमसी पर किसानों में भ्रम है जिसे दूर करने की कोशिश की जा रही है। जहां तक एमएसपी का सवाल है तो उसे छूने का सवाल ही नहीं, बल्कि सरकार तो उसे और मजबूत बनाने की कवायद में है इसके साथ मंडी समितियों को लेकर भी जो भ्रम बना हुआ है वो निर्मूल है, मंडी समितियों को मजबूत बनाएंगे। यही नहीं मंडियों के बाहर जो बिक्री होगी उसके लिए पैन कार्ड जरूरी होगा। उन्होंने कहा कि एक और दौर की बातचीत पांच दिसंबर को होगी। 

क्या कहा किसानों ने
वार्ता के बीच में किसानों ने कहा कि यह बेहतर होगा कि एमएसपी को वैधानिक दर्जा दिया जाए। इसके साथ ही किसानों की संपूर्ण दिक्कतों पर चर्चा करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए। अब किसान किसी तरह से बहकावे में आने वाले नहीं हैं। अगर सरकार उनकी मांगों पर गंभीर नहीं होगी तो आंदोलन को देशव्यापी बनाया जाएगा। इस तरह के बयान के बीच सरकार की तरफ से बात उठी की जब हम सभी मुद्दों पर खुले मन से बातचीत कर रहे हैं तो इस तरह से मांग उठाना ठीक नहीं होगा।

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