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क्या है 'दरबार मूव' परंपरा, जिसके खत्‍म होने से जम्‍मू कश्‍मीर प्रशासन के हर साल बचेंगे 200 करोड़ रुपये

Updated Jul 02, 2021 | 15:08 IST

जम्‍मू कश्‍मीर में 149 साल पुरानी दरबार मूव परंपरा को खत्‍म कर दिया है। इससे करीब 10 हजार कर्मचारियों को हर छह महीने पर अब आवास बदलने की आवश्‍यकता नहीं होगी, जबकि सरकार के 200 करोड़ रुपये की सालाना बचत होगी।

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क्या है 'दरबार मूव' परंपरा, जिसके खत्‍म होने से जम्‍मू कश्‍मीर प्रशासन के हर साल बचेंगे 200 करोड़ रुपये
मुख्य बातें
  • जम्‍मू कश्‍मीर में 149 साल पुरानी दरबार मूव परंपरा को समाप्‍त कर दिया गया है
  • यह परंपरा 1872 में जम्मू-कश्मीर के महाराजा गुलाब सिंह ने शुरू की थी
  • इससे जम्‍मू कश्‍मीर प्रशासन के हर साल 200 करोड़ रुपये की बचत का अनुमान है

जम्‍मू : जम्‍मू कश्‍मीर में बीते करीब 149 वर्षों से चली आ रही 'दरबार मूव' परंपरा को समाप्‍त कर दिया गया है, जिससे लगभग 10 हजार कर्मचारियों को अब हर छह महीने में आवास और कार्यस्‍थल बदलने की जरूरत नहीं होगी। इससे जम्‍मू कश्‍मीर प्रशासन का लगभग 200 करोड़ रुपये बचने का अनुमान है, जिसे वंचित वर्गों के कल्याण और विकास कार्यों के लिए खर्च किया जा सकेगा।

'दरबार मूव' नाम से चर्चित इस परंपरा के तहत लगभग 10 हजार कर्मचारियों को हर छह माह पर अपना आवास और कार्यस्‍थल बदलना पड़ता था, जिस पर लगभग 200 करोड़ रुपये का खर्च आता था। यह परंपरा साल 1872 में जम्मू-कश्मीर के महाराजा गुलाब सिंह ने शुरू की थी। दरअसल, अरसे से जम्‍मू कश्‍मीर की दो राजधानियां- ग्रीष्‍मकालीन राजधानी श्रीनगर और शीतकालीन राजधानी जम्‍मू रही हैं।

149 साल पुरानी है परंपरा?

हर साल गर्मियों में जब सरकार का संचालन श्रीनगर से होता था, तब कर्मचारियों के लिए श्रीनगर में और जब सर्दियों के मौसम में जम्‍मू से सरकारी कामकाज का संचालन होता था, तब जम्‍मू में कर्मचारियों के लिए आवास की व्‍यवस्‍था करनी होती थी। राजभवन, नागरिक सचिवालय और अन्य प्रमुख कार्यालयों को हर साल चरणबद्ध तरीके से इन दोनों शहरों में स्थानांतरित करना होता था, जिस पर करीब 200 करोड़ रुपये का खर्च होता था।

जम्‍मू कश्‍मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 20 जून को 149 साल पुरानी इसी 'दरबार मूव' परंपरा को खत्म करने की घोषणा की थी, जिसके बाद 1 जुलाई को उन्‍होंने जम्मू और श्रीनगर में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए आवासीय सुविधा की व्‍यवस्‍था को रद्द कर दिया। इससे 10 हजार कर्मचारियों को हर छह महीने पर स्‍थानांतरण से नहीं गुजरना होगा और प्रशासन को सालाना करीब 200 करोड़ रुपये की बचत होगी।

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