- सरकार ने एनपीआर अपडेट करने की दी मंजूरी
- प्रत्येक 10 साल में अपडेट किया जाता है एनपीआर
- 2010 में पहली बार शुरु हुई एनपीआर की प्रक्रिया
नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) पर मचे बवाल के बीच केंद्र सरकार ने मंगलवार को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने की मंजूरी दी। एनपीआर को अपडेट करने के लिए सरकार ने 8,500 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है। एनपीआर अपडेट करने की प्रक्रिया अगले साल अप्रैल से शुरू होकर सितंबर 2020 तक चलेगी। एनपीआर देश के 'सामान्य नागरिकों' की एक सूची है। बता दें कि साल 2015 में घर-घर जाकर सर्वेक्षण के जरिए एनपीआर के डाटा को अपडेट किया गया। इस डाटा को डिजिटल रूप भी दे दिया गया है। सरकार ने अब एनपीआर में घरों को शामिल करने के लिए इसे अपडेट करने का फैसला किया है।
क्या है एनपीआर?
राष्टीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) देश के सामान्य नागरिकों का रजिस्टर है जिसे नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों एवं नागरिकता (रजिस्ट्रेशन ऑफ सिटिजन्स, नेशनल आइडेंटिटी कार्ड्स) के नियम 2003 के तहत राष्ट्रीय, राज्य, जिले, तहसील और स्थानीय ग्रामीण स्तर पर तैयार किया जाता है। भारत के प्रत्येक सामान्य नागरिक को एनपीआर में अपना नाम दर्ज कराना अनिवार्य है। सामान्य नागरिक की परिभाषा में कहा गया है कि ऐसा व्यक्ति जो एक स्थान पर छह महीने या उससे ज्यादा समय से रहता आया है अथवा वह उस स्थान पर अगले छह महीने अथवा उससे ज्यादा समय तक रहने की इच्छा रखता है, सामान्य नागरिक कहलाएगा।
NPR का क्या है उद्देश्य?
एनपीआर तैयार करने का उद्देश्य देश के सामान्य नागरिकों की पहचान के लिए एक व्यापक डाटाबेस तैयार करना है। इस डाटाबेस में डेमोग्रेफिक एवं बॉयोमीट्रिक पहचान का उल्लेख होता है। एनपीआर के लिए देश के सभी सामान्य नागरिकों से आधार, मोबाइल नंबर, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट नंबर के ब्योरे लिए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आधार कार्ड की जानकारी साझा करना व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करेगा।
एनपीआर के लिए देने होते हैं ये ब्योरे
घर के मुखिया का नाम, पिता का नाम, माता का नाम, पत्नी का नाम (यदि विवाहित है), लिंग, जन्मतिथि, वैवाहिक स्थिति, जन्म का स्थान, राष्ट्रीयता, सामान्य आवास का मौजूदा पता, मौजूदा पते पर रहने की अवधि, स्थायी आवासीय पता, पेशा, शैक्षिक योग्यता।
क्या है NPR की मौजूदा स्थिति?
2011 की भारत की जनसंख्या के लिए डाटा संग्रह के दौरान 2010 में एनपीआर का डाटा कलेक्ट किया गया और घर-घर जाकर सर्वे के जरिए 2015 में इस डाटा को अपडेट किया गया। इस डाटा को डिजिटल रूप दे दिया गया है। अब एनपीआर डाटा में घरों की मैपिंग एवं उसे सूची में भी शामिल की जाएगी। यह काम असम को छोड़कर सभी राज्यों में छह महीने में अप्रैल से सितंबर 2020 के बीच पूरा किया जाएगा। इससे संबंधित अधिसूचना केंद्र सरकार पहले ही जारी कर चुकी है।
असम को इसलिए किया गया है बाहर
जहां तक असम की बात है, तो इस राज्य में एनपीआर को अपडेट करने की प्रक्रिया नहीं शुरू की गई है। यहां अवैध घुसपैठियों की पहचान के लिए एनआरसी की प्रक्रिया संपन्न हुई है।
यूपीए में पहली बार शुरू हुआ NPR
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया को संबोधित करते हुए मंगलवार को कहा कि एनपीआर नया नहीं है। पहली बार यह यूपीए सरकार में 2010 में शुरू हुआ और 2015 में इसका अपडेशन हुआ। हर 10 साल में इसे अपडेट किया जाता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एनपीआर में शामिल होने के लिए व्यक्ति को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होती। एनपीआर के लिए किसी प्रूफ, दस्तावेज की जरूरत नहीं है। यहां तक कि यह बॉयोमीट्रिक भी नहीं है। जो व्यक्ति ब्योरा देगा उसे सही मान लिया जाएगा। इसे सभी राज्यों ने स्वीकार किया है। मनमोहन सिंह ने पीएम रहते हुए एनपीआर कार्ड बांटे हैं। जावड़ेकर ने कहा कि पहचान सही होने पर योजनाओं का लाभ वास्तविक एवं उचित लोगों को मिलेगा।