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What is Sabarimala temple case: क्‍या है सबरीमाला मंदिर विवाद, जानें क्‍या है पूरा मामला?

Updated Nov 14, 2019 | 11:33 IST

What is Sabarimala temple case: केरल में सबरीमाला मंदिर श्रद्धालुओं के बीच बेहद प्रसिद्ध है। पत्तनमत्तिट्टा जिले में स्थित यह मंदिर ऊंचे पहाड़ पर है और भगवान अयप्‍पा को समर्पित है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
सबरीमला मंदिर केरल में है (फाइल फोटो)
मुख्य बातें
  • सबरीमाला मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से लगभग 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है
  • श्रद्धालु 40 दिनों का व्रत रखकर यहां पहुंचते हैं, जिस दौरान उन्‍हें तमाम तरह से खुद को पवित्र रखना होता है
  • सबरीमाला मंदिर भगवान अयप्पा को समर्पित है, जिन्‍हें भगवान शिव व विष्‍णु का अंश माना जाता है 

नई दिल्‍ली : केरल के सबरीमाला मंदिर को लेकर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे 7 सदस्‍यीय वृहद पीठ के पास भेजने का फैसला लिया। शीर्ष अदालत का यह फैसला उसके ही एक पहले के निर्णय की समीक्षा के अनुरोध को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका पर आया है। शीर्ष अदालत ने 28 सितंबर, 2018 को सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देते हुए 10-50 साल की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर पारंपरिक प्रतिबंध को निरस्‍त करते हुए इसे असंवैधानिक और समानता के अधिकार का उल्‍लंघन बताया था। सुप्रीम कोर्ट के उसी फैसले पर रिव्‍यू पिट‍िशन दायर किया गया, जिस पर अब फैसला आया है। जानें, क्‍या है सबरीमाला मंदिर विवाद और एक खास उम्र की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर क्‍यों थी पाबंदी?

कहां है सबरीमाला मंदिर?
सबरीमाला मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से लगभग 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर केरल के पत्तनमत्तिट्टा जिले में है और चारों तरफ पहाड़ियों से घिरा है। श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर यहां पहुंचते हैं, जिसमें नैवेद्य यानी भगवान को चढ़ाई जानी वाली चीजें होती हैं। ऐसी मान्‍यता है कि तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, 40 दिनों का व्रत रखकर और सिर पर नैवेद्य रखकर जो भी सच्‍चे मन से यहां भगवान अयप्‍पा की अराधना के लिए पहुंचता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस मंदिर का संचालन त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड करता है।

कौन हैं भगवान अयप्‍पा?
केरल का प्रसिद्ध सबरीमला मंदिर भगवान अयप्पा को समर्पित एक हिन्दू मंदिर है। भगवान अयप्पा को शिव व विष्‍णु का अंश माना जाता है और इसलिए इन्‍हें हरिहरपुत्र (हरि यानी विष्‍णु और हर यानी शिव) भी कहा जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि भगवान विष्‍णु ने जब मोहिनी रूप धारण किया था, तभी अयप्‍पा की उत्‍पत्ति हुई। भगवान अयप्पा श्रद्धालुओं के बीच अयप्पन, शास्ता, मणिकांता नाम से भी जाने जाते हैं। इस मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि केरल में शैव और वैष्‍णव समुदाय के लोगों में बढ़ते वैमन्‍य को देखते हुए एक बीच का रास्‍ता तलाशा गय और अयप्‍पा स्‍वामी का मंदिर बनाया गया, जहां सभी तरह के लोग आ सकें।

कब हुआ मंदिर का निर्माण?
सबरीमाला मंदिर लगभग 800 साल पुराना बताया जाता है। माना जाता है कि इसका निर्माण राजा राजसेखरा ने कराया था, जिन्‍हें भगवान अयप्‍पा बाल रूप में पंपा नदी के किनारे मिले थे। मान्‍यता है कि राजा उन्‍हें अपने साथ महल ले आए थे, जहां वह कुछ दिन तक उनके साथ रहे थे। बाद में जब उन्‍होंने अपना राजपाट उन्‍हें सौंपना चाहा तो वह अंतर्ध्‍यान हो गए, जिससे राजा बहुत दुखी हुए और उन्‍होंने खाना-पीना छोड़ दिया। बाद में उन्‍होंने राजा को दर्शन दिया और उसी जगह अपना मंदिर बनवाने को कहा, जिसके बाद राजा ने भगवान अयप्‍पा के मंदिर का निर्माण कराया।

महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर क्‍यों थी पाबंदी?
भगवान अयप्‍पा को ब्रह्मचारी माना गया है और मान्‍यता है कि अगर रजस्‍वला उम्र की महिलाएं मंदिर में प्रवेश करती हैं तो भगवान का ध्‍यान भंग हो सकता है और वह अपवित्र हो सकते हैं। इसी को देखते हुए पारंपरिक तौर पर 10 साल से 50 साल की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर पारंपरिक तौर पर पाबंदी लगाई गई थी, क्‍योंकि इस उम्र की महिलाएं रजस्‍वला होती हैं। फिर, भगवान अयप्‍पा के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं को 40 दिनों को खुद को हर तरह से पवित्र रखना होता है। ऐसी मान्‍यता है कि इस उम्र की महिलाओं का इतने दिनों तक खुद को पवित्र रख पाना मुश्किल है, क्योंकि 40 दिनों से पहले ही उन्‍हें पीरियड्स आ जाते है और मंदिर का संचालन करने वाला बोर्ड तथा परंपरावादी मानते हैं कि पीरियड्स महिलाओं को अपवित्र कर देते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में यह मुद्दा कब पहुंचा?
सुप्रीम कोर्ट में यह मामला 2006 में पहुंचा, जब मंदिर के मुख्य ज्योतिषि परप्पनगडी उन्नीकृष्णन ने कहा था कि भगवान अयप्पा अपनी ताकत खो रहे हैं और वह नाराज भी हैं क्योंकि मंदिर में किसी युवा महिला ने प्रवेश कर लिया। इस मुद्दे पर हंगामा होने के बाद केरल के यंग लॉयर्स असोसिएशन ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की, जिसमें सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने को कहा गया। तकरीबन एक दशक बाद इसमें शीर्ष अदालत का फैसला आया, जिसमें सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी गई।

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