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क्या है शिमला समझौता? जिसे सैकड़ों बार तोड़ चुका है पाकिस्‍तान

Updated Jul 02, 2021 | 09:18 IST

भारत और पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई 1972 को शिमला में एक समझौता हुआ। इस समझौते में कश्मीर समेत कई मुद्दों पर सहमति हुई। जिससे पाकिस्तान सैकड़ों बार तोड़ चुका है। 

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शिमला समझौता क्यों हुआ?
मुख्य बातें
  • दिसंबर 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था।
  • इस युद्ध में पाकिस्तान की करारी हार हुई थी। पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश के नाम से नया देश बन गया।
  • इस युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई 1972 को कई मुद्दों पर समझौते हुए थे।

बांग्लादेश को लेकर दिसंबर 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। इस युद्द में पाकिस्तान की करारी हारी हुई थी। उसके बाद दोनों देशों के बीच शिमला में एक समझौता हुआ था। जिसे शिमला समझौता कहा जाता है। इस समझौते में भारत की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ज़ुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए थे। 

गौर हो कि दिसंबर 1971 में पूर्वी पाकस्तान को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध के बाद पाकिस्तान दो हिस्सों में बंट गया। पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा बांग्लादेश के नाम से नया देश बन गया। पाकिस्तान की ऐसी हार हुई थी कि उसके 80,000 से अधिक सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। इस युद्ध के बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी दुनिया में ताकतवर नेता के रूप में उभरी थीं। 

क्या है शिमला समझौता ?

1971 युद्ध के बाद वर्ष 1972 में शिमला में भारत और पाकिस्तान के बीच 28 जून से 1 जुलाई तक कई दौर की वार्ता हुई। अंतत: 2 जुलाई 1972 को दोनों देशों के बीच समझौता हो गया। यह समझौता शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है। इस समझौता में पाकिस्तान तत्कालीन प्रधानमंत्री ज़ुल्फिकार अली भुट्टो अपनी बेटी बेनजीर भुट्टो के साथ शिमला आए थे। बाद में बेनजीर भी पाकिस्तान के प्रधान मंत्री बनी थीं। इस समझौते में पाकस्तान ने वादा किया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर समेत जितने भी विवाद हैं। उनका हल आपसी बातचीत के जरिए शांतिपूर्वक से किया जाएगा। कोई भी विवादों अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नहीं उठाया जाएगा। समझौते में यह भी कहा गया कि युद्ध बंदियों की अदला-बदली होगी। राजनयिक संबंधों सामान्य किए जाएंगे। दोनों देशों में व्यापार फिर शुरू होगा। साथ ही कश्मीर में नियंत्रण रेखा स्थापित होगी। दोनों देश एक दूसरे के खिलाफ बल का प्रयोग नहीं करेंगे। दोनों ही सरकारें एक दूसरे देश के खिलाफ प्रचार को रोकेंगी।  लेकिन बाद में पाकिस्तान ने इसे समझौते का सैकड़ों बार उल्लंघन किया है।

पाकिस्तान ने तब से लेकर अक्सर कश्मीर विवाद को अन्तररष्ट्रीय मंचों पर उठाता आ रहा है। सीमा पर घुसपैठ और सीजफायर का उल्लंघन करता आ रहा है। इतना ही नहीं 1999 में पाकिस्तानी सेना कारगिल में घुसपैठ कर भारतीय सेना को युद्ध के लिए मजबूर किया। भारतीय सेना मुंह तोड़ जवाब देते हुए पाकिस्तान को इस बार भी हरा दिया। पाकिस्तान अभी भी घुसपैठ के जरिये भारत में आतंकवादी हरकत कर रहा है। 

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