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एक और दो सीट वाले राफेल में क्या है अंतर? जानें सिंगल और डबल पायलट वाले लड़ाकू विमानों की खासियतें

Updated Jul 29, 2020 | 11:45 IST

Rafale Fighter Jet: फ्रांस से पहली खेप के तहत 3 सिंगल सीट वाले जबकि 2 डबल सीट वाले लड़ाकू विमान भारत भेजे गए हैं। भारतीय वायुसेना को मिलने जा रहे कुल 36 राफेल में से 6 दो सीट वाले जबकि 30 एक सीट वाले होंगे।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
भारत आ रहे एक और दो सीट वाले राफेल की तस्वीरें
मुख्य बातें
  • भारत को फ्रांस की ओर से भेजी गई राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप
  • भारतीय वायुसेना को मिलने जा रहे 3 सिंगल सीट और 2 डबल सीट वाले विमान
  • 36 लड़ाकू विमानों के लिए दोनों देशों के बीच सरकार के स्तर पर हुआ था सौदा

नई दिल्ली: आखिरकार भारतीय वायुसेना का इंतजार 5 राफेल लड़ाकू विमानों के देश में आने के साथ खत्म हो रहा है। यह भारत और फ्रांस के बीच 36 लड़ाकू विमानों की डील के तहत पहुंचाई जा रही पहले खेप है, जिन्हें अंबाला एयरफोर्स बेस पर गोल्डन एरोज स्क्वाड्रन का हिस्सा बनाया जाएगा। भारत आ रहे राफेल में दो तरह विमान मौजूद हैं, एक हैं सिंगल सीट वाले और दूसरे डबल सीट वाले। आइए जानते हैं इन दोनों विमानों के बीच का अंतर और सिंगल व डबल पायलट वाले लड़ाकू विमानों की खासियतें।

भारत आ रहे पहले 5 राफेल में 2 डबल सीट वाले जबकि 3 सिंगल सीट वाले विमान हैं। फ्रांस से खरीदे गए कुल 36 लड़ाकू विमानों में से 6 दो सीट वाले होने वाले होने वाले हैं जबकि बचे हुए 30 सिंगल सीटर फाइटर जेट होंगे। अगर खास तौर पर राफेल की बात करें तो डसॉल्ट एविएशन इसके तीन तरह के संस्करण बनाती है।

3 तरह के राफेल: पहला एक सीट वाला जमीन (एयरबेस) से संचालित विमान, दूसरा दो सीट वाला जमीन से संचालित विमान और तीसरा एक सीट वाला एयरक्राफ्ट कैरियर से संचालित होने वाला विमान जिसका इस्तेमाल नौसेना करती है।


(Photo- Dassault Aviation)

दो सीट वाले विमानों का इस्तेमाल:
भारत ने दो सीट वाले 6 राफेल लड़ाकू विमान फ्रांस से खरीदे हैं उनका इस्तेमाल आम तौर पर पायलटों को ट्रेनिंग के लिए किया जाएगा। पहले इन विमानों पर भारतीय वायुसेना के पायलटों को फ्रांस के पायलट ट्रेनिंग देंगे और आने वाले समय में वायुसेना अपने नए पायलटों को इनकी मदद से प्रशिक्षण देने का काम करेगी। फ्रांस में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पिछले साल इसी विमान में उड़ान भरी थी।

कई मौकों पर अलग अलग देशों में दो सीट वाले ट्रेनर विमानों को युद्ध के दौरान इस्तेमाल करने के मामले भी सामने आते रहे हैं हालांकि इनका मुख्य उद्देश्य प्रशिक्षण देना ही होता है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए इन्हें बनाया जाता है।

(Photo- Dassault Aviation)

क्या सिर्फ प्रशिक्षण में इस्तेमाल होते हैं 2 सीट वाले फाइटर जेट:
ऐसा जरूरी नहीं कि दो सीट वाला हर लड़ाकू विमान ट्रेनर ही हो। युद्ध के लिए तैयार कई फाइटर जेट को भी दो सीट वाला बनाया जाता है। उदाहरण के लिए भारत का सुखोई-30 एमकेआई। भारत के पास करीब 250 से ज्यादा सुखोई-30 हैं और यह सभी 2 पायलट वाले फाइटर जेट हैं।

इन दो पायलेट्स में से एक का मुख्य काम विमान को उड़ाना जबकि दूसरे का विभिन्न उपकरणों और विमान में लगे हथियारों को संचालित करते हुए हमला करना होता है। एक और दो सीट वाले दोनों तरह के विमानों की अपनी खासियते होती हैं।

विमान को उड़ाते हुए संचालन में कई तरह के काम करने होते हैं ऐसे में दो पायलट होने पर यह ज्यादा आसान हो जाता है हालांकि अत्याधुनिक तकनीक आ जाने के बाद ऑटोमेशन की मदद से कंप्यूटर पायलट का काम काफी हद तक आसान और कम कर देते हैं इसलिए दो पायलट की जरूरत नहीं रह जाती। फ्रांस से भारत को मिल रहा राफेल भी इसी तरह का विमान है।

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