नई दिल्ली: दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य ताकतों में से एक भारत तेजी से बड़ी महाशक्ति बनने की ओर अहम कदम बढ़ा रहा है। दूसरी बार चुनकर आने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद की घोषणा की थी जोकि एक बड़ा कदम था और इस पर लंबे समय से बात हो रही थी। जनरल बिपिन रावत के सीडीएस बनने के बाद अब भारत के सैन्य इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा पुर्नगठन होने जा रहा है। अब तीनों सेनाएं मिलकर एक ही ईकाई की तरह काम करने की ओर कदम बढ़ाएंगीं। जनरल बिपिन रावत ने इस ओर इशारा करते हुए कहा है कि भारत में अगले 3 साल में थिएटर कमांड बनाए जाएंगे।
क्या है थिएटर कमांड, क्यों है जरूरत?
थिएटर कमांड के तहत तीनों सेनाएं एक साथ एक दूसरे के साथ तालमेल बैठाते हुए काम करती हैं। फिलहाल नौसेना, वायुसेना और थल सेना युद्ध को लेकर अपनी तैयारियां अलग-अलग करते हैं और तीनों को एक साथ ट्रेनिंग करने का कम ही मौका मिलता है लेकिन कारगिल की लड़ाई की तरह कई बार युद्ध की परिस्थिति में सेनाओं को एक साथ काम करने की जरूरत होती है ऐसे में तालमेल का अभ्यास हो और एक साथ ऑपरेशन करने में सेना का अनुभव हो, इसमें थिएटर कमांड काफी मददगार साबित होती है।
थिएटर कमांड को देश के भौगोलिक हिस्सों और रक्षा जरूरतों के आधार पर बांटा जा सकता है। जैसे- हिमालय के पहाड़ी इलाकों के लिए अलग कमांड हो सकती है और मैदानी व रेगिस्तानी इलाके को संभालने के लिए अलग कमांड हो सकती है। अमेरिका 11 थिएटर कमांड के तहत अपने देश और पूरी दुनिया में अपनी रणनीति लागू करता है। चीन भी थिएटर कमांड की दिशा में कदम बढ़ा चुका है।
कम होगा खर्च, बेहतर होगी क्षमता: थिएटर कमांड की मदद से सेनाओं में संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल होता है, आधुनिकीकरण करने में मदद मिलती है, युद्ध की स्थिति से बेहतर ढंग से निपटा जा सकता है, ज्यादा प्रभावी रणनीति बनाई जा सकती है और रक्षा खर्च को कम करने में भी मदद मिलती है।
फिलहाल भारत में अंडमान निकोबार को केंद्रीय थिएटर कमांड के जरिए नियंत्रित किया जाता हैं जिसकी स्थापना 2001 में हुई थी। इसके अलावा 2003 में परमाणु हथियारों के लिए स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड बनाया गया था।
केंद्रीय थिएटर कमांड में कैसे होगा काम: फिलहाल तीनों सेनाओं के पास अलग-अलग 17 कमांड्स मौजूद हैं। इनमें से थलसेना और वायुसेना दोनों के पास 7-7 कमांड हैं जबकि नौसेना के पास तीन कमांड हैं। अब सेनाओं को 8 कमांड में समेटा जाएगा और इसके तहत सेनाएं मिलकर काम करेंगीं।
रक्षा सूत्रों से टाइम्स नाउ को मिली जानकारी के अनुसार, अब पाकिस्तान के लिए दो कमांड हो सकते हैं: एक कश्मीर के लिए और दूसरा पंजाब, राजस्थान और गुजरात क्षेत्र को कवर करेगा। चीन सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा की लंबाई को देखते हुए एक कमांड नेपाल से पूर्व और दूसरी पश्चिम इलाके को केंद्रित करके बनाई जाएगी। इसके अलावा एक पेनिंसुला कमांड, वायु रक्षा कमांड, अंतरिक्ष कमांड और एक बहु-सेवा रसद व प्रशिक्षण कमांड भी होगी।
उदाहरण से समझें: धीरे-धीरे भारतीय सेनाओं को एकीकृत करने के प्रयास किए जा रहे हैं। तमिलनाडु में तंजावुर एयरबेस पर ब्रम्होस मिसाइल से लैस सुखोई-30 एमकेआई विमानों की तैनाती इसका एक उदाहरण है। जहां जरूरत पड़ने पर नौसेना की मदद करते हुए वायुसेना के विमान समुद्री लक्ष्यों को ब्रम्होस मिसाइल से निशाना बना सकते हैं।
कारगिल युद्ध के समय थल सेना और वायुसेना ने साथ मिलकर काम किया था हालांकि तब तालमेल में कुछ कमी नजर आई थी और इसी के बाद सीडीएस और रक्षा संगठनों के एकीकरण की जरूरत महसूस हुई थी।
अब तक सेनाओं में थिएटर कमांड को लेकर मतभेद रहे हैं जिन्हें धीरे धीरे दूर करके इस दिशा में आगे बढ़ा जा रहा है। इसमें तीनों सेनाओं की ओर से आ रहे सुझावों को अहमियत दी जा रही है।