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Presidential Election of India 2022: राष्ट्रपति चुनाव में क्या करेगा बिखरा हुआ विपक्ष ?

मनीष चौधरी | Deputy News Editor
Updated Jun 13, 2022 | 13:06 IST

Presidential Election of India 2022: देश में इस बार होनेवाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष एकजुट होगा या नहीं यह फिलहाल साफ नहीं है। लेकिन ये जरूर है कि सभी ने अपने तरीके से लामबंदी करनी शुरू कर दी है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
Presidential Election of India 2022,भारत में राष्ट्रपति चुनाव

 Presidential Election 2022: राजनीति की एक बड़ी खासियत है कि जो साथ दिखे है जरूरी नहीं कि वो साथ हो, और जो दूर दिखे, जरूरी नहीं कि  वो साथ नहीं आ सकता हो। 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में अगर दूर दिखने वाली पार्टियां साथ आ जाएं और करीब दिखने वाली पार्टियां दूर हो जाएं तो बहुत हैरान, परेशान होने की जरूरत नहीं है । क्योंकि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों वेट एंच वॉच की नीति पर चल रहे हैं अभी कुछ भी क्लियर नहीं है ।

ये जरूर है कि तैयारी दोनों ओर से शुरू हो गई है । सत्ता पक्ष की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा दूसरे दलों से बात कर उनका मन टटोलेंगे । विपक्ष में इस मुद्दे पर अभी सिर्फ अंदरुनी बातचीत शुरू हो पाई है ।  

राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों की रणनीति क्या ?

विपक्षी दलों की कोशिश है कि किसी तरह से बीजेपी विरोधी दलों को एक साथ लाया जाए । अगर बीजेपी विरोधी सभी दल एक साथ आ जाते हैं तो 2014 के बाद ये पहला चुनाव होगा, जिसमें विपक्ष बीजेपी को टक्कर देने की स्थिति में होगा। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से विपक्षी दल ज्यादातर चुनावों में बिखरे ही नजर आए हैं । इसलिए इस कम से कम राष्ट्रपति चुनाव में एक साथ आ जाएं तो 2024 के लिए ये एक बड़ा संदेश हो सकता है लेकिन जो हालात हैं, उसमें विपक्षी दलों का एक साथ आना मुश्किल दिख रहा है ।  

राष्ट्रपति चुनाव में क्या साथ आएंगे विपक्षी दल ?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने 15 जून को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में विपक्षी दलों की एक बैठक बुलाई है । कांग्रेस, शिवसेना समेत सभी बड़े दलों को इसमें बुलाया गया है । ये बैठक विपक्षी दलों की एकता का टेस्ट लेगा । इस बैठक में किस दल के कितने बड़े नेता शामिल होते हैं इसी से पता चल जाएगा कि राष्ट्रपति चुनाव किस ओर जाने वाला है । क्या विपक्ष एकजुट होकर सत्ता पक्ष को चुनौती देगा या जिस तरह से अब तक बिखरा हुआ है उसी तरह से आगे भी बिखरा रहेगा ।


ममता की बैठक में कौन-कौन शामिल होगा ?

दरअसल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से 15 जून की बैठक में 20 से ज्यादा राजनीतिक दलों के मुखिया को आमंत्रित किया गया है। बैठक में राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति तय होनी है लेकिन उससे पहले विपक्ष के महत्वपूर्ण नेता उद्धव ठाकरे की गैरमौजूदगी की खबर आ चुकी है । संजय राउत ने साफ कर दिया है कि उद्धव ठाकरे इस महत्वपूर्ण बैठक में शामिल नहीं होंगे । हांलाकि उन्होंने ये भी साफ किया शिवसेना का प्रतिनिधि ममता बनर्जी की बैठक में जरूर जाएगा । दूसरी ओर सीपीएम के मुखिया सीताराम येचुरी ने ममता बनर्जी के बैठक बुलाए जाने को एकतरफा कोशिश कह दिया है । साथ ही साथ ये भी कहा ऐसे फैसले ठीक नहीं हैं। इससे राष्ट्रपति चुनाव में नुकसान होगा । कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पहले से बीमार हैं उनका इस बैठक में शामिल होना बेहद मुश्किल है ।


अरविंद केजरीवाल और केसीआर की रणनीति !
2024 से पहले विपक्षी एकता को लेकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर काफी सक्रिय हैं । केसीआर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात भी कर चुके हैं हांलाकि दोनों ओर से राष्ट्रपति चुनाव पर अब तक कुछ भी बोला नहीं गया है। अरविंद केजरीवाल और केसीआर दोनों की राष्ट्रीय महत्वकांक्षाएं हैं दोनों राष्ट्रीय स्तर पर अपनी ज्यादा बड़ी भूमिका चाहते हैं । इसलिए वो राष्ट्रपति चुनाव को एक बड़े मौके के रूप में देख रहे हैं लेकिन दोनों में से किसी दल की स्थिति ऐसी नहीं है कि वो अपने पंसदीदा उम्मीदवार को विपक्ष का उम्मीदार घोषित करवा पाएं । दोनों नेता कांग्रेस और बीजेपी से बराबर दूरी भी बनाए रखना चाहते हैं क्योंकि पंजाब और तेलंगाना में दोनों के सामने कांग्रेस ही मुख्य विपक्षी पार्टी है ।

जगन और नवीन पटनायक की रणनीति क्या ?

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक अब तक खामोश हैं । राष्ट्रपति चुनाव में वो किसी ओर जाएंगे कि ये अभी तय नहीं है लेकिन उनकी नजदीकी बीजेपी से है, जगमोहन रेड्डी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी कर चुके हैं ।

राष्ट्रपति चुनाव में सक्रिय हैं अमित शाह ?
वैसे तो आधिकारिक रूप से गृहमंत्री अमित शाह ने अब तक राष्ट्रपति चुनाव पर कुछ भी नहीं कहा है लेकिन पिछले कुछ दिनों में वो कई राज्यों का दौरा कर चुके हैं । सवाल ये भी है कि क्या पिछले बिहार दौरे में नीतीश कुमार से राष्ट्रपति चुनाव पर उनकी कुछ बात हुई है, क्या महाराष्ट्र और कर्नाटक के दौरा को भी राष्ट्रपति चुनाव से जोड़ कर देखा जा सकता है ।

राष्ट्रपति चुनाव में क्या-क्या संभावनाएं बन रही हैं ?
ऐसा संभव है कि एक उम्मीदवार एनडीए बनाए। दूसरा नाम कांग्रेस, लेफ्ट और उनके सहयोगियों की ओर से आए। टीएमसी, आप, केसीआर और समाजवादी पार्टी एक अलग मोर्चा बनाकर अपना अलग उम्मीदवार दें ।
 

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