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बीजेपी की जीत के लिए कौन जिम्मेदार? असदुद्दीन ओवैसी बोले- मुसलमानों को अक्षम पार्टियों को वोट नहीं देना चाहिए

Updated Jun 26, 2022 | 23:36 IST

उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव में बीजेपी की शानदार जीत और सपा की करारी हार के बाद AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मुसलमानों को अक्षम पार्टियों को वोट नहीं देना चाहिए।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी

उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राज्‍य की मुख्‍य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) को करारा झटका देते हुए दोनों सीटों पर कब्जा कर लिया। इस पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सपा पर निशाना साधा। रिजल्ट आने के बाद उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यूपी उपचुनाव के नतीजे बताते हैं कि समाजवादी पार्टी बीजेपी को हराने में असमर्थ है, उनमें बौद्धिक ईमानदारी नहीं है। अल्पसंख्यक समुदाय को ऐसी अक्षम पार्टियों को वोट नहीं देना चाहिए। बीजेपी की जीत के लिए कौन जिम्मेदार, अब बी-टीम, सी-टीम किसे कहेंगे। 

गौर हो कि इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में बीजेपी की लोकसभा सीटों की संख्या 64 हो गई है जबकि सपा की सीटें घटकर मात्र 3 रह गई हैं। गौर है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में भारतीय जनता पार्टी ने 62, सहयोगी अपना दल (एस) ने दो सीटें जीतीं थी जबकि बहुजन समाज पार्टी को 10 और सपा को पांच और कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी। तब सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था।

रामपुर में बीजेपी के घनश्याम लोधी ने सपा के आसिम राजा को 42192 मतों के अंतर से हराया जबकि आजमगढ़ में भाजपा उम्मीदवार एवं भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल यादव निरहुआ ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के धर्मेंद्र यादव को 8679 मतों के अंतर से शिकस्त दी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के विधायक बनने के बाद उनके इस्तीफे से रिक्त हुई क्रमश: आजमगढ़ और रामपुर सीटों पर बीजेपी और सपा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। आजमगढ़ में बीएसपी उम्मीदवार की दमदार मौजूदगी से संघर्ष त्रिकोणीय रहा, जबकि रामपुर में बीएसपी ने अपना कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया।

निर्वाचन आयोग के अनुसार रामपुर में घनश्याम लोधी को कुल 3,67,397 वोट मिले जबकि आसिम राजा को 3,25,205 वोट मिले। यहां 4450 मतदाताओं ने 'नोटा' यानी किसी को भी मत नहीं देने का विकल्प चुना, जो मतों के लिहाज से तीसरी सबसे बड़ी संख्या रही। यहां बीजेपी और सपा के अलावा किसी प्रमुख दल ने चुनाव नहीं लड़ा। चुनाव जीतने के बाद लोधी ने कहा, यह रामपुर के लोगों की जीत है। उन्होंने कहा कि वह अब उनके "चौकीदार" के रूप में काम करेंगे।

रामपुर सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां का गढ़ रहा है। अपने क्षेत्र में पार्टी की हार को उन्होंने सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का नतीजा करार दिया। मीडिया से बातचीत में उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि ईमानदारी से चुनाव हो जाए। मैं कहता हूं इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस आये। वह यहां चुनाव कराए। खुले मैदान में चुनाव हो जाए। अगर हम हार गए तो राजनीति का मैदान हमेशा के लिए छोड़ देंगे।

आजमगढ़ में सपा और बसपा के साथ त्रिकोणीय मुकाबले में निरहुआ ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के धर्मेंद्र यादव को 8679 मतों से हराया। निरहुआ को 312768 मत मिले जबकि सपा के यादव को 304089 मत मिले। कड़े मुकाबले में बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने भी 266210 मत हासिल किये। आजमगढ़ में 5369 लोगों ने नोटा का बटन दबाया।

निरहुआ ने दावा किया कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को उपचुनाव में अपनी पार्टी की हार का पहले से ही एहसास था, इसीलिए वह यहां प्रचार करने नहीं आए। निरहुआ ने मीडिया कहा कि यह पूरी तरह भारतीय जनता पार्टी की सरकारों की अच्छी नीतियों और गरीब कल्याण से जुड़ी योजनाओं की जीत है। उन्हीं पर भरोसा करके आजमगढ़ ने कमल खिलाया है।

उन्होंने एक सवाल पर कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आजमगढ़ उपचुनाव में प्रचार करने नहीं आए। वह ओवर कॉन्फिडेंट नहीं थे बल्कि उन्हें यह पता था कि वह नहीं जीत पाएंगे क्योंकि एक बार जनता ने उन्हें चुना था और वह तीन साल में ही उसे छोड़ कर चले गए थे। उन्होंने जनता के लिए कुछ किया नहीं था। उन्हें पता था कि जनता उन्हें नकार देगी और वही हुआ भी। आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव ने अपनी पराजय के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के 'गठबंधन' को जिम्मेदार करार दिया है।

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