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कौन हैं सुब्रत बक्शी, TMC के ऐसे नेता जो गलतियां करने पर ममता बनर्जी को टोक देते हैं 

Updated Mar 09, 2021 | 08:40 IST

West Bengal Elections 2021 : सुब्रत बख्शी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस के छात्र इकाई से की। साल 1998 में जब ममता ने तृणमूल कांग्रेस का गठन किया तो वह उनके साथ आ गए।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
कौन हैं टीएमस के सुब्रत बख्शी।
मुख्य बातें
  • ममता बनर्जी के करीबी एवं भरोसेमंद नेताओं में से एक हैं सुब्रत बख्शी
  • साल 1998 में जब ममता ने टीएमसी बनाई तो बख्शी उनके साथ आए
  • पार्टी में अभिषेक बनर्जी का कद बढ़ने के बाद भी उनके सम्मान में कमी नई

कोलकाता : विधानसभा चुनाव के समय तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी के पुराने सहयोगियों ने उनका साथ छोड़ दिया और वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। लेकिन एक शख्स ऐसे हैं जो आज भी ममता बनर्जी के भरोसेमंद बने हुए हैं। इनका नाम है सुब्रत बख्शी। 70 साल के हो चुके सुब्रत अभी टीएमसी से राज्यसभा सांसद हैं। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री ममता यदि कहीं पर गलती करती हैं तो सुब्रत ही पार्टी के ऐसे व्यक्ति हैं जो उन्हें टोकते हैं और सलाह देते हैं। सुब्रत के बारे में खास बात यह है कि वह पार्टी में लो-प्रोफाइल रहते हैं।

कांग्रेस छोड़ ममता के साथ आए
बख्शी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस के छात्र इकाई से की। साल 1998 में जब ममता ने तृणमूल कांग्रेस का गठन किया तो वह उनके साथ आ गए। उस समय सुब्रत एक सरकारी बैंक में काम करते थे। पार्टी को अपना पूरा समय देने के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी से वीआरएस ले लिया। समय बीतने के साथ वह मुकुल रॉय, बानी सिंघा रॉय, पार्थ चटर्जी और सुवेंदु अधिकारी के साथ ममता के करीबी नेताओं में शामिल हो गए। 

ममता के लिए भवानीपुर सीट छोड़ी
साल 2011 में बख्शी ने भवानीपुर विधानसभा सीट जीता था। लेकिन ममता को जब सदन जाने की जरूरत पड़ी तो उन्होंने बिना हिचक अपनी सीट खाली कर दी। बाद में टीएमसी की टिकट पर वह ममता की दक्षिण कोलकाता सीट से लोकसभा का चुनाव दो बार जीते। बख्शी अब राज्यसभा में सांसद हैं। टीएमसी में बख्शी के कद के बारे में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, 'पार्टी में बख्शी दा ही एक ऐसे व्यक्ति है जो कहीं गलती होने पर दीदी को टोक सकते हैं।'

टीएमसी में उनके कद में कमी नहीं आई
राजनीति में अक्सर देखने में आता है कि कि जब कोई नेता अपनी पार्टी के सुप्रीमो को किसी बात पर आगाह करता है या सही-बुरी बातों की तरफ इशारा करता है तो उसके संबंध नेतृत्व के साथ खराब हो जाते हैं लेकिन सुब्रत के साथ ऐसा नहीं है। ममता बनर्जी उनकी बातों को ध्यान से सुनती हैं।  पार्टी नेताओं का कहना है कि टीएमसी में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का कद बढ़ने के बावजूद सुब्रत के मान-सम्मान में कोई कमी नहीं आई है जबकि कई नेता इस बात से आहत होकर पार्टी छोड़कर जा चुके हैं।

टीएमसी के कई करीबी भाजपा में हुए शामिल  
सुवेंदु अधिकारी सहित टीएमसी के कई दिग्गज नेता हाल के दिनों में भाजपा में शामिल हुए। इन नेताओं का कहना है कि टीएमसी पूरी तरह से अभिषेक बनर्जी के नियंत्रण में आ गई है। ममता पार्टी में उन्हीं को बढ़ावा दे रही हैं और टीएमसी अब एक 'परिवार' की पार्टी बनकर रह गई है। टीएमसी के कई नेताओं के भाजपा में शामिल होने से ममता बनर्जी को झटका लगा है। इस बार भाजपा उन्हें कड़ी टक्कर दे रही है। बंगाल में विधानसभा की 294 सीटों के लिए आठ चरणों में चुनाव होंगे जबकि नतीजे 2 मई को आएंगे। बंगाल के इस चुनावी रण पर सभी की नजरें टिकी हैं। 

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