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जी-23 में क्या कुछ हुआ और कौन था निशाने पर, इनसाइड स्टोरी

रंजीता झा | SPECIAL CORRESPONDENT
Updated Mar 17, 2022 | 13:11 IST

पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस में घमासान जारी है। जी-23 की मीटिंग बुधवार को हुई। उस बैठक में कांग्रेस में आमूलचूल बदलाव की बात कही गई। लेकिन वास्तव में वो कौन से लोग निशाने पर थे उसके बारे में हम बताने जा रहे हैं।

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जी-23 में क्या कुछ हुआ कौन था निशाने पर, इनसाइड स्टोरी
मुख्य बातें
  • जी-23 से जुड़े कपिल सिब्बल ने गांधी नेतृत्व पर साधा सीधा निशाना
  • पांच राज्यों में हार के बाद कांग्रेस में बड़े बदलाव की मांग
  • जी-23 की मांग को कांग्रेस के कई दिग्गजों ने नकारा

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस के भीतर आत्म चिंतन और आत्ममंथन का दौर जारी है। लेकिन यह आत्मचिंतन दो रूप में हो रहा है। एक तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जो कि पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष है वह अपने लोगों के माध्यम से करने और करवाने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरे वह लोग हैं जो पिछले कुछ सालों से कांग्रेस के गिरते सियासी स्तर को संभालने के लिए संगठन में बदलाव की वकालत कर रहे हैं। जी हां हम बात G23 की कर रहे हैं।

छोटा ग्रुप, बड़े इरादे

बुधवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उनकी समूह G23 की एक अहम बैठक पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के आवास पर हुई। इसमें 18 नेता शामिल हुए। जिसमे पांच पूर्व मुख्यमंत्री, कई पूर्व कैबिनेट, राज्य मंत्री और पूर्व सांसद शामिल हुए। इन लोगों ने 4 घंटे तक बैठक करने के बाद औपचारिक रूप से एक जॉइंट स्टेटमेंट जारी किया जिसका सार तो ये था की संगठन में सभी स्तरों पर निर्णय सामूहिक रुप से किया जाए। समान विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर 2024 के लिए विकल्प तैयार किया जाय।

ये तो बात हो गई दिखावे की, लेकिन असली कहानी बैठक की कुछ और है। दरअसल बैठक में इन नेताओं क्या तय किया, आइए हम बताते हैं----

  1. फिलहाल पार्टी में ही रह कर पार्टी के अंदर संगठनात्मक बदलाव के लिए दबाव बनाते रहेंगे।
  2. जब तक पार्टी न निकाले या कोई अनुशासनात्मक कारवाई न करे नेतृत्व की जवाबदेही तय करते रहेंगे।
  3. पूरे देश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के पास जाकर कांग्रेस बचाने और संगठन को मजबूत करने के लिए मुलाकात करेंगे।
  4. गांधी परिवार के नेतृत्व को सीधे चुनौती नहीं देंगे, लेकिन सिब्बल के बयान से भी सीधे किनारा नही किया।
  5. G 23 का मानना है की कांग्रेस के हर कार्यकर्ता को अपनी राय रखने का अधिकार है। इसलिए सिब्बल के बयान को अनुशासनहीनता नही माना जा सकता।
  6. G 23 को सबसे ज्यादा शिकायत नेतृत्व के करीबी नेताओं और सलाहकारों से है। इन नेताओं का मानना है कुछ नेता नेतृत्व को गलत फैसले लेने ,और गुमराह करने का काम कर रहे हैं।
  7. आखिरी में G 23 का ये मानना है की अगर राहुल गांधी को पार्टी के लिए फैसला लेना है तो उन्हे पद भी लेना चाहिए। बिना पद पर रहते हुए फैसले लेने से पार्टी को नुकसान हो रहा है।

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जी-23 की खुली बगावत
कल तक G23 को कांग्रेस के भीतर एक प्रेशर ग्रुप माना जा रहा था वो पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हारने के बाद उसने गांधी परिवार के खिलाफ खुली बगावत कर दी है। हालांकि कल की बैठक में सिर्फ 18 नेता मौजूद थे लेकिन इनमें से कई नेता ऐसे थे जिनका लंबा राजनीतिक जीवन और अनुभव रहा है। ऐसे नेताओं को किनारे कर देना नेतृत्व के लिए भी आसान नहीं होगा।

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