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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी के फैसले को आचार्य प्रमोद कृष्णम ने क्यों बताया बीजेपी के लिए 2024 के लिए ब्रह्मास्त्र ?

रंजीता झा | SPECIAL CORRESPONDENT
Updated Sep 12, 2022 | 18:58 IST

decision on Gyanvapi's case:ज्ञानवापी मामले में आज के फैसले ने जिन्न को बोतल से बाहर निकाल दिया है,हिंदू पक्ष अब कार्बन डेटिंग की मांग करेंगे। उनका मानना है की औरंगजेब ने भगवान आदि विश्वेश्वर की मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई थी, हिंदुओं को उनका अधिकार मिलना चाहिए।

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आचार्य प्रमोद कृष्णम का मानना है की बीजेपी इस फैसले का राजनीतिक इस्तेमाल करेगी

ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन के मामले पर जिला जज की अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस मामले में मुस्लिम पक्ष की अपील खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि मामला सुनने योग्य है अब अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। कांग्रेस ने ज्ञानवापी मामले में अदालत के फैसले का स्वागत तो किया है लेकिन उसे डर है की इस फैसले से बीजेपी के हाथ ब्रह्मास्त्र लग गया है।

अदालत के फैसले के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम का मानना है की बीजेपी इस फैसले का राजनीतिक इस्तेमाल करेगी। उन्होंने कहा की इस फैसले के रूप में बीजेपी को 2024 के लिए ब्रह्मास्त्र मिल गया है।

Gyanvapi case Verdict: हिंदू पक्ष की बड़ी जीत, कोर्ट ने अर्जी को सुनवाई योग्य माना, मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज

हिंदू पक्ष के पैरोकार का भी मानना है की आज का फैसला हिंदू समाज को बहुत बड़ी जीत मिली है। अगली सुनवाई 22 को होगी, ज्ञानवापी मंदिर के लिए यह मील का पत्थर है। प्रमोद कृष्णम ने फैसला आने के बाद कहा की भारत एक लोकतांत्रिक देश है।

यहां परंपरा रही है की न्यायपालिका के फैसले का स्वागत भी किया जाता है और सम्मान भी किया जाता है। लेकिन बीजेपी और असउद्दीन ओवैसी जैसे लोग इस प्रतिक्रिया देंगे। इस फैसले से समाज में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास किया जाएगा। इतिहास के पन्नों को उधेरा जाएगा। उनका मानना है की बीजेपी इसका सियासी फायदा उठाने की कोशिश जरूर करेगा।

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अदालत के फैसले को लेकर जो शंकाए उठाई है उसके पीछे एक तार्किक वजह जरूर हो सकती है। लेकिन भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में न्यायपालिकाओं के फैसले को धर्म और जात से ऊपर उठकर देखा जाता है।

यह सच है कि ज्ञानवापी का फैसला अभी निचली अदालत से आया है और दूसरे पक्षकार हाईकोर्ट के ऊपरी अदालत में सुनवाई की अपील कर सकते हैं। लेकिन इस फैसले ने आने वाले वक्त के लिए एक नजीर जरूर पेश कर दी है।
 

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