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New Parliament 4 New India: भारत को नए संसद भवन की जरूरत क्यों है?

बीरेंद्र चौधरी | सीनियर न्यूज़ एडिटर
Updated Dec 13, 2020 | 08:50 IST

पहला, मौजूदा संसद भवन 2021 में 100 साल पूरे कर रहा है यानी ये भवन ओवर यूटीलाइजड हो चूका है और खराब भी हो रहा है। भारत सरकार ने ये बातें मार्च 2020 में संसद को बताया था।

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मौजूदा संसद भवन 2021 में 100 साल पूरे कर रहा है।

तारीख़ : 10 दिसंबर 2020, समय : दोपहर 12 बजकर 55 मिनट, भारत के इतिहास का स्वर्णिम क्षण जिसे भारत के लोग, भारत का लोकतंत्र और भारत का इतिहास कभी नहीं भुला पायेगा और वो इतिहास इस तरह बना है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने इसी तारीख और इसी समय पर भारत के नए संसद भवन के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और उसी के साथ दूसरा इतिहास बनना भी तय हो गया है जब 2022 में भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा उसी नए संसद भवन में।

उसी क्रम में इस नए संसद भवन को लेकर सवालों की झड़ी लगी हुई है कि जब मौजूदा संसद भवन है ही तो नए संसद भवन की जरूरत क्या है?

भारत को नए संसद भवन की जरूरत क्यों है? इसको समझने के लिए कुछ फैक्ट्स को समझना बहुत जरूरी है।

पहला, मौजूदा संसद भवन 2021 में 100 साल पूरे कर रहा है यानी ये भवन ओवर यूटीलाइजड हो चूका है और खराब भी हो रहा है। भारत सरकार ने ये बातें मार्च 2020 में संसद को बताया था।

दूसरा, 2026 में लोकसभा सीटों का परिसीमन (पुनर्गठन) होना निर्धारित है और इसके बाद सांसदों की संख्या में इजाफा हो सकता है क्योंकि फिलहाल लोक सभा में 545 ( दो मनोनीत सदस्य ) और राज्यसभा में 245 सदस्य हैं। यानि 790 संसद सदस्यों के लिए मौजूदा संसद भवन उपयुक्त है लेकिन सदस्यों की संख्या बढ़ने पर मौजूदा भवन पर्याप्त नहीं होगा।

तीसरा, 2026 में परिसीमन होगा लेकिन मूल सवाल उठता है कि परिसीमन क्यों जरूरी है इसे समझना भी जरूरी है। आजादी के बाद भारत में 1951 में पहली लोकसभा का चुनाव हुआ उस समय देश की जनसंख्या थी 36 करोड़ और लोकसभा में कुल सीटें थी 489 यानी 1 लोकसभा एमपी 7 लाख आबादी को रिप्रेजेंट करते थे। 2020 में भारत की आबादी 138 करोड़ है और लोकसभा में सीटें हैं कुल 543 यानि 25 लाख की आबादी पर 1 लोक सभा एमपी। अंतर देखिए 1951 में 1 एमपी 7 लाख आबादी को रिप्रेजेंट करते थे और अब यानि 2020 में 1 एमपी 25 लाख की आबादी को रिप्रेजेंट कर रहे हैं। इसीलिए लोक सभा सीटों का परिसीमन या पुनर्गठन आवश्यक है। इसीलिए 2026 में परिसीमन होना निर्धारित है।

चौथा, हालांकि भारत के संविधान निर्माताओं ने परिसीमन को ध्यान में रखते हुए संविधान में धारा 81 का एक प्रावधान बनाया हुआ जिसके मुताबिक 10 वर्षों के बाद होने वाले हर जनगणना के बाद सीटों का परिसीमन होगा लेकिन 1971 के बाद से ये हुआ नहीं। इसीलिए लोकसभा सीटों का परिसीमन होना अनिवार्य है।

पांचवां, संविधान की धारा 81 के अनुसार लोकसभा में 550 से ज्यादे सीटें नहीं होंगी जिसमें 530 राज्यों के और 20 केंद्र शासित प्रदेशों से होंगे। अभी लोक सभा में 543 सीट हैं जिसमें 530 राज्यों के और 13 केंद्र शासित प्रदेशों के हैं। वाजिब है कि संविधान निर्माताओं ने अपने हिसाब से सदस्यों की संख्या के बारे में सोचा था क्योंकि उस समय की देश की आबादी थी 36 करोड़ और आज आबादी है 138 करोड़। इसीलिए सदस्यों की बढ़ना तय है और बढ़ना भी चाहिए।

इन्हीं 5 कारणों की वजह से भारत को नए संसद भवन की जरूरत है और इसीलिए नए भवन का शिलान्यास किया गया है।

चर्चित सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट क्या है ?

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत ही नए संसद परिसर का निर्माण किया जाएगा जिसमें लोक सभा, राज्य सभा और सेंट्रल हॉल शामिल होगा। इसी सेंट्रल विस्टा में एक दूसरे से जुड़ी 10 इमारतों में 51 मंत्रालय भी बनाए जाएंगे. इन मंत्रालयों को नजदीकी मेट्रो स्टेशन से जोड़ने के लिए अंडर ग्राउंड मार्ग भी बनाया जाएगा। साथ ही राष्ट्रपति भवन के नज़दीक प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के लिए नया निवास भी बनाया जाएगा. इस पूरे 3 किलोमीटर परिसर को सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट कहा गया है।

नए संसद भवन में मुख्य रूप से क्या क्या होगा?

पहला, नए संसद भवन के लोकसभा में 888 और राज्य सभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी। साथ ही सेंट्रल हॉल जहां जॉइंट सेशन होगा उसमें 1224 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी। यानि नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा दोनों का साइज मौजूदा लोक सभा और राज्य सभा से काफी बड़ा होगा। नए संसद भवन संसद सदस्यों के पास पर्याप्त स्थान होगा जिससे क्षत्रों से आए नागरिकों से मिल बैठ कर मंत्रणा के सकें।

दूसरा, नए संसद भवन में भारत की विरासत,विविध संस्कृति, कला, शिल्प, वास्तुकला को सुंदरता के साथ दर्शाया जाएगा।

तीसरा, नए संसद भवन में मॉडर्न टेक्नोलॉजी को उपयोग किया जायेगा। साथ ही संसद की सुरक्षा के लिए मॉडर्न सिक्योरिटी सिस्टम को पुख्ता रूप में अंजाम दिया जायेगा।

चौथा, नए संसद भवन में केंद्रीय संवैधानिक गैलरी भी बनाया जायेगा जिसे आम लोग इसे आसानी से देख सकेंगे।

कुल मिलाकर, नया संसद भवन भारत के लोकतंत्र का सिंबल होगा जिसमें भारत का इतिहास, संस्कृति और सभ्यता समाहित होगा। यानि नए संसद भवन को देखकर ऐसा लगेगा कि हमारा भारत कैसा है।

नए संसद भवन का मामला सुप्रीम कोर्ट में क्यों है?

इस प्रोजेक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कम से कम सात पेटिशन पेंडिंग है। इन सभी पिटीशंस पर कोर्ट में सुनवाई चल रहा है। इनकी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रोजेक्ट के मंजूरी के तरीकों पर नाराजगी जताई थी लेकिन कोर्ट ने भूमि पूजन की अनुमति दे दी लेकिन राइडर के साथ कि ‘आप शिलान्यास कर सकते हैं, आप कागजी करवाई कर सकते हैं लेकिन निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ काटना नहीं होगा।'

मौजूदा संसद भवन और आने वाले नए संसद भवन की महत्ता क्या है?

इसका उपयुक्त उत्तर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भूमि पूजन भाषण में स्वयं दिया, 'पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद के भारत को दिशा दी, तो नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा. पुराने भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ, तो नए भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी।'

आखिर में ,सबको इंतज़ार रहेगा 2022 का जब भारत अपनी आज़ादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाएगा, भारत के नए संसद भवन में।

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