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सैम मानेकशॉ ने पाकिस्तान से युद्ध के लिए क्यों किया था मना?

Why Sam Manekshaw refused war with Pakistan?
मुकुन्द झा | प्रोड्यूसर
Updated Dec 18, 2021 | 11:21 IST

War Stories of 1971 : साल 2001 के आसपास सैम मानेकशॉ ने अपने पोते से एक खास बातचीत की थी और इस बातचीत में उन्होंने इंदिरा गांधी के साथ अपने संबंधों और 1971 के युद्ध का जिक्र किया था. सैम ने बताया कि कैसे बांग्लादेश की तरफ से हो रहे पलायन के कारण उत्तर पूर्वी राज्यों के मुख्यमंत्री परेशान थे।

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Why Sam Manekshaw refused war with Pakistan? Why Sam Manekshaw refused war with Pakistan?
सैम मानेकशॉ ने पाकिस्तान से युद्ध के लिए क्यों किया था मना?

1971 की जंग में भारत की जीत सुनिश्चित करने वाला एक योद्धा था। जिसने उस वक्त की प्रधानमंत्री आयरन लेडी कही जाने वाली इंदिरा गांधी को भी सीधा सीधा नकार ही दिया था। हम इस वीडियो में उसी योद्धा का जिक्र करने जा रहे हैं। सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ यानी सैम मानेकशॉ। दरअसल, इंदिरा गांधी तो अप्रैल 1971 में ही युद्ध चाह रही थीं लेकिन सैम ने प्रधानमंत्री को साफ इंकार कर दिया और 6 महीने का वक्त मांगा। इन 6 महीनों में कुछ भी हो सकता था लेकिन सैम मानेकशॉ को अपनी ताकत का अंदाजा था इसीलिए उन्होंने वक्त मांगा।  अब सैम मानेकशॉ ने इंदिरा को युद्ध का वक्त एक्सटेंड करने के लिए मनाया कैसे? इसका किस्सा भी काफी दिलचस्प है।

मानेकशॉ ने पूछा-आप मुझसे क्या चाहती हैं? 

साल 2001 के आसपास सैम मानेकशॉ ने अपने पोते से एक खास बातचीत की थी और इस बातचीत में उन्होंने इंदिरा गांधी के साथ अपने संबंधों और 1971 के युद्ध का जिक्र किया था। सैम ने बताया कि कैसे बांग्लादेश की तरफ से हो रहे पलायन के कारण उत्तर पूर्वी राज्यों के मुख्यमंत्री परेशान थे और सब शिकायत कर रहे थे। इंदिरा गांधी ने एक मीटिंग के दौरान सैम मानेकशॉ से झिझकते हुए कहा था कि देख रहे हो कितनी परेशानी है तुम क्या कर रहे हो? सैम ने जवाब दिया कि मैं क्या कर रहा हूं ? आप मुझसे क्या चाहती हैं? 

इंदिरा ने सैम से कहा कि मैं चाहती हूं कि तुम ईस्ट पाकिस्तान पर चढ़ाई कर दो

सैम ने कहा- इसका मतलब हुआ युद्ध। इंदिरा ने फिर कहा- मुझे फर्क नहीं पड़ता अगर ये युद्ध है। सैम ने इसका दो टुक जवाब दिया और कहा कि मैं तैयार नहीं हूं। सैम मानेकशॉ ने दलील दी कि अगर हम युद्ध में जाते हैं और अभी मॉनसून भी आने वाला है। मॉनसून के वक्त ईस्ट पाकिस्तान के इलाकों में जब बारिश होती हो तो वहां नदियां समंदर बन जाती हैं और हमारे पास आने जाने के लिए भी सिर्फ सड़के ही और एयर फोर्स भी हमारी मदद नहीं कर पाएंगी। अगर मुझे युद्ध में जाना पड़ा तो मैं 100 पर्सेंट गारंटी देता हूं कि हम हार जाएंगे।

युद्ध की तैयारियों के लिए 6 महीनों का वक्त मांगा
यहां पर सैम ने अपना इस्तीफा सौंपने की बात भी कह दी थी। इंदिरा के गुस्से की परवाह किए बगैर मानेकशॉ ने कहा था, 'क्या आप चाहती हैं कि आपके मुंह खोलने से पहले मैं कोई बहाना बनाकर अपना इस्तीफा सौंप दूं?' हालांकि सैम ने युद्ध की तैयारियों के लिए 6 महीनों का वक्त मांगा था इसके बाद कहा था कि वो भारत की जीत सुनिश्चित होगी और हुआ भी ऐसा ही। इस मीटिंग के लगभग 6 महीने बाद भारतीय सेना ने सैम मानेकशॉ के नेतृत्व में पूरी तैयारी के साथ युद्ध लड़ा। युद्ध से पहले जब इंदिरा गांधी ने उनसे भारतीय सेना की तैयारी के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया, 'मैं हमेशा तैयार हूं, स्वीटी।'

सैम मानेकशॉ ने इंदिरा गांधी को स्वीटी कहा था। ये आम था कि सैम मानेकशॉ इंदिरा गांधी के साथ काफी कैजुअली बात किया करते थे। स्वीटी, गर्ल ऐसे शब्दों से वो कई बार इंदिरा को संबोधित किया करते थे। खैर सैम ने जैसा वादा किया था वैसा ही हुआ। दिसंबर महीने में पाकिस्तान की तरफ से प्रीएंप्टिव एक्शन के कारण 4 दिसंबर को युद्ध शुरू हुआ जो कि 13 दिनों तक चला और 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के सरेंडर के साथ ही युद्ध खत्म हुआ था। भारत के इतिहास में ये जीत सबसे बड़ी जीतों में से है।

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