- संसद का शीतकालीन सत्र आज से
- शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार करीब 30 विधेयक पेश करने जा रही है
- सत्र से पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक करेंगे
Winter Session: संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है। सत्र 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक चलेगा। सरकार ने कृषि कानून वापसी के साथ 26 ऐसे बिल लिस्ट कर रखे हैं जिसके लिए वो संसद में चर्चा चाहती है। इसके लिए सरकार ने आज सभी विपक्षी दलों को एक फ्लोर पर लाकर बात की। तीन कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 शुक्रवार को राज्यसभा सदस्यों के बीच बांटा गया। लोकसभा द्वारा पारित होने के बाद सरकार आज राज्यसभा में विधेयक पेश कर सकती है।
इससे पहले रविवार को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से एक दिन पहले सदन में सभी दलों के नेताओं की बैठक की अध्यक्षता की। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमने किसानों, चीनी आक्रमण, महंगाई, डीजल और पेट्रोल की कीमतों, बेरोजगारी, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि और बाढ़ मुआवजे के मुद्दों को उठाया। उपराष्ट्रपति ने हमें राज्यसभा को सुचारू रूप से चलाने के लिए सहयोग करने को कहा। हमने उनसे अनुरोध किया कि वे सरकार से हर पार्टी को साथ लेकर चलने के लिए कहें।
वहीं सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रेखांकित किया कि सरकार भी संसद में स्वस्थ चर्चा चाहती है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदन के सुचारू संचालन के लिए पार्टियों से सहयोग का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक में 31 दलों ने भाग लिया। विभिन्न दलों के 42 नेताओं ने रचनात्मक चर्चा में भाग लिया। सरकार बिना किसी व्यवधान के अध्यक्ष और स्पीकर द्वारा अनुमत किसी भी चर्चा के लिए तैयार है।
कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में महंगाई, ईंधन की कीमतों में वृद्धि, किसानों के मुद्दों और कोविड 19 सहित कई मुद्दों को उठाया गया। सभी दलों ने मांग की कि एमएसपी की गारंटी वाला कानून बनाया जाए। हमने सरकार से मांग की कि कोविड 19 पीड़ितों के परिवारों को प्रत्येक को 4 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए। कृषि कानूनों के विरोध में जान गंवाने वाले किसानों को भी मुआवजा दिया जाए। हमें उम्मीद थी कि पीएम बैठक में शामिल होंगे। लेकिन किसी कारण से वह इसमें शामिल नहीं हुए...सरकार ने कृषि कानूनों को वापस ले लिया है लेकिन पीएम ने कहा था कि वह किसानों को समझा नहीं सके। इसका मतलब है कि भविष्य में इन कानूनों को किसी और रूप में वापस लाया जा सकता है।