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Jiribam-Imphal project : मणिपुर में बन रहा दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल, यूरोप के इस ब्रिज का टूटेगा रिकॉर्ड

Updated Nov 28, 2021 | 07:44 IST

Manipur rail bridge : इंजीनियर ने बताया कि इस ब्रिज का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा। संदीप ने आगे कहा, 'पहला चरण जो कि 12 किमी तक फैला है, वह पहले ही चालू हो चुका है। दूसरे चरण में करीब 98 फीसदी काम पूरा हो चुका है।

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इस पुल का निर्माण 141 मीटर की ऊंचाई पर किया जा रहा है।
मुख्य बातें
  • राजधानी मणिपुर को देश के ब्राड गेज नेटवर्क से जोड़ेगी यह परियोजना
  • रेलवे के इस पुल का निर्माण 141 मीटर की ऊंचाई पर किया जा रहा है
  • पुल बनने के बाद 115 किलोमीटर की दूरी दो से 2.5 घंटे में पूरी होगी

इंफाल (मणिपुर) : भारतीय रेलवे मणिपुर में दुनिया के सबसे ऊंचे पुल का निर्माण कर रही है। यह पुल 111 किलोमीटर लंबे जिरीबाम-इंफाल रेल परियोजना का हिस्सा है। रेलवे की यह महात्वाकांक्षी योजना राजधानी मणिपुर को देश के ब्राड गेज नेटवर्क से जोड़ेगी। इस पुल का निर्माण 141 मीटर की ऊंचाई पर किया जा रहा है। ऊंचाई के लिहाज से यह ब्रिज यूरोप के मोंटेनेग्रो के माला-रिजेका वायडक्ट (139 मीटर) के मौजूदा रिकार्ड को तोड़ देगा। 

115 किलोमीटर की दूरी दो से 2.5 घंटे में पूरी होगी

इस परियोजना के मुख्य इंजीनियर संदीप शर्मा ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, 'इस परियोजना के पूरा होने के बाद 115 किलोमीटर की दूरी दो से 2.5 घंटे में पूरी कर ली जाएगी। अभी जिरीबाम-इंफाल (एनएच-37) के बीच की दूरी 220 किलोमीटर है और इस दूरी को तय करने में अभी 10-12 घंटे लगते हैं। निर्माण पूरा हो जाने के बाद यह दुनिया का सबसे ऊंचा ब्रिज बन जाएगा।'

दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा ब्रिज

इंजीनियर ने बताया कि इस ब्रिज का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा। संदीप ने आगे कहा, 'पहला चरण जो कि 12 किमी तक फैला है, वह पहले ही चालू हो चुका है। दूसरे चरण में करीब 98 फीसदी काम पूरा हो चुका है और फरवरी 2022 तक यह भी बनकर तैयार हो जाएगा। तीसरा चरण खोंगसांग से तुपुल तक नवंबर 2022 तक पूरा हो जाएगा। टुपुल से इंफाल घाटी तक फैले पुल का चौथा और आखिरी चरण दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा।' अधिकारी ने बताया कि 111 किलोमीटर लंबी इस परियोजना का 61 प्रतिशत हिस्सा सुरंगों से गुजरता है। 

पुल के निर्माण की अनुमानित लागत 374 करोड़ रुपए

इंजीनियर ने कहा कि इस पुल के निर्माण की अनुमानित लागत 374 करोड़ रुपए है। उन्होंने कहा कि मानसून सत्र में एनएच-37 पर अक्सर भूस्खलन होता है। यहां तक आने के लिए राजमार्ग ही एक रास्ता है। अप्रैल से अक्टूबर तक यहां भारी बारिश हुआ। इस दौरान यहां काम करना मुश्किल था। यहां उग्रवाद को लेकर भी थोड़ी समस्याएं हैं। इससे कभी-कभी समस्या होती है।  
 

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