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UP में सड़क किनारे बने सभी धार्मिक स्थल हटाने के निर्देश, जानिए योगी सरकार ने क्यों दिया यह आदेश

Updated Mar 12, 2021 | 09:49 IST

UP News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सड़कों, गलियों तथा फुटपाथ पर धार्मिक किस्म की कोई संरचना को हटाने का निर्देश जारी किया है।

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सख्त हुई योगी सरकार, हटेंगे सड़क किनारे बने सभी धार्मिक स्थल
मुख्य बातें
  • उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़कों पर बने धार्मिक स्थलों को लेकर जारी किया निर्देश
  • सड़कों, फुटपाथों पर एक जनवरी 2011 या इसके बाद हुए धार्मिक निर्माण हटाए जाएंगे
  • योगी सरकार ने दिए सख्त आदेश, नहीं मानने वाले अधिकारी होंगे व्यक्तिगत जिम्मेदार

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सड़क किनारे बने सभी धार्मिक स्थलों को हटाने को सख्त आदेश जारी कर दिया है। गुरुवार को इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को आदेश दिया कि धार्मिक स्थलों के नाम पर किए अतिक्रमण को ध्वस्त किया जाए। गुरुवार को जारी इस आदेश में कहा गया है कि एक जनवरी 2011 और उसके बाद से इस तरह का कोई निर्माण कराया गया है तो उसे फौरन हटा दिया जाए।

कतई न दी जाए अनुमति
राज्य सरकार ने शासन को जो निर्देश दिए हैं उनके मुताबिक, सड़कों (राजमार्गों सहित), गलियों, फुटपाथों, सड़क के किनारों, लेन आदि पर धार्मिक प्रकृति की कोई संरचना निर्माण की अनुमति कतई न दी जाए। आदेश के मुताबिक, यदि एक जनवरी 2011 या उसके बाद इस प्रकार की कोई संरचना या निर्माण किया गया है तो उसे योजना बनाकर संबंधित धार्मिक संरचना के अनुयायियों अथवा इसके प्रबंधन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा प्रस्तावित निजी भूमि (जो उनके समुदाय की होगी) पर छह माह के भीतर स्थानांतरित कर दिया जाएगा अथवा उसे हटा दिया जाएगा।

हाईकोर्ट के आदेश पर जारी हुए निर्देश

यह निर्देश हाईकोर्ट के आदेश पर जारी किए गए हैं। सरकार ने इस संबंध में प्रदेश के सभी मंडलायुक्त, पुलिस कमिश्नर गौतमबुद्ध नगर व लखनऊ, समस्त परिक्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक, उपमहानिरीक्षक, समस्त जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक को निर्देश जारी किया गया है। इस निर्देश में साफ कहा गया है कि सभी जिला अधिकारी इसकी अनुपालन रिपोर्ट संबंधित प्रमुख सचिव या सचिव सौपेंगे तथा वह एक विस्तृत ब्योरा अगले दो माह में मुख्य सचिव को सौंपेंगे। 

वरना अधिकारियों पर गिरेगी आज
पीटीआई के मुताबिक, सरकार के निर्देशों में दो टूक कहा गया है कि अगर इस आदेश के पालन में कोई भी लापरवाही या अवज्ञा होती है तो इसके लिए संबंधित अधिकारी व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होंगे। इन आदेशों की अवज्ञा जानबूझकर उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना होगी, जो आपराधिक अवमानना मानी जाएगी।

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