Jagannath Puri Rath Yatra 2022, Jai Jagannath Rath Yatra Telecast in Hindi: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए पांडी अनुष्ठान ओडिशा के पुरी में शुरू हो गया है। COVID महामारी के बाद दो साल के अंतराल के बाद इस बार रथ यात्रा में भक्तों की भागीदारी की अनुमति दी गई है। त्योहार पर अपेक्षित भीड़ को ध्यान में रखते हुए ओडिशा पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ तीन भव्य रथों में सवार होकर निकलते हैं। हर साल भगवान जगन्नाथ 3 किलोमीटर लंबी यात्रा करके अपनी मौसी गुंडिचा के घर यानी कि गुंडिचा मंदिर जाते हैं। इसके बाद वे यहां 7 दिन तक विश्राम करते हैं और फिर दोबारा जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं।
ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के अलावा चक्रराज सुदर्शन के विशालकाय रथों के साथ शुक्रवार को नौ दिवसीय रथयात्रा उत्सव आरंभ हो गया। इस दौरान लाखों की संख्या में आए श्रद्धालुओं ने ‘जय जगन्नाथ’ और ‘हरिबोल’ का उद्घोष किया।घंटे, ढोल, मंजीरे और नगाड़ों की ध्वनि से आकाश गूंज उठा तथा सिंहद्वार के आसपास एकत्र हुए देशभर से आए श्रद्धालुओं ने रथों पर सवार देव प्रतिमाओं के दर्शन किये। गौरतलब है कि गत दो साल महामारी के दौरान रथयात्रा उत्सव का आयोजन नहीं हो सका था।रथयात्रा के आयोजन के लिए जिला प्रशासन और ओडिशा पुलिस की ओर से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर इस पर्व का आयोजन किया जाता है जिसमें भगवान जगन्नाथ और उनके भाई तथा बहन गुंडिचा मंदिर में नौ दिन के लिए ठहरते हैं।भगवान विष्णु को समर्पित 12वीं शताब्दी के मंदिर में तय समय से पहले सभी अनुष्ठान किये गए और इस दौरान सेवादारों के बीच उत्साह देखा गया।श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि देव प्रतिमाओं को गर्भगृह से रथ तक ले जाने का अनुष्ठान ‘पहंडी’ सुबह साढ़े नौ बजे होना था लेकिन वह सात बजे ही शुरू हो गया। उन्होंने बताया कि मंगला आरती, अवकाश, शाकला धूप और मंगलार्पण भी तय समय से पहले किया गया।
रथ यात्रा उत्सव से पहले तीनों देवताओं में से प्रत्येक के लिए एक रथ या रथ बनाया जाता है। प्रत्येक रथ में मुख्य देवता के साथ नौ अन्य मूर्तियाँ भी विराजमान हैं। प्रत्येक रथ पर नौ ऋषियों को भी चित्रित किया गया है।लगभग 45 फीट ऊंचा विशाल रथ भगवान जगन्नाथ का लाल और पीला रथ है। इसे नंदीघोष कहा जाता है और इसे अकेले बनने में दो महीने लगते हैं।भगवान जगन्नाथ का रथ 18 पहियों पर चलता है, भगवान बलराम का रथ तलद्वाज 16 पहियों पर और देवी सुभद्रा का पद्मध्वज 14 पहियों पर चलता है।