नई दिल्ली : देश और दुनियाभर में आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मानाया जा रहा है, जिस मौके पर कई जगह कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ऐसे समय में मनाया जा रहा है, जबकि पूरी दुनिया कोरोना महामारी के खिलाफ जंग लड़ रही है। दुनियाभर में गहराते कोरोना संकट को देखते हुए योग की अहमियत और भी बढ़ गई है। यह न सिर्फ शारीरिक तंदुरुस्ती के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह उतना ही अहम है। यह हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी कारगर है, जो तमाम बीमारियों से लड़ने में हमें मदद देती है। इस मौके पर पीएम मोदी ने आज राष्ट्र को संबोधित किया। यहां जानें उनके संबोधन की प्रमुख बातें :
पीएम मोदी ने इस दौरान गीता का भी जिक्र किया और कहा कि इसमें भगवान कृष्ण ने योग की व्याख्या करते हुए कहा है, 'योगः कर्मसु कौशलम्' यानी कर्म की कुशलता ही योग है। हमारे यहां कहा गया है कि सही खान-पान, सही ढंग से खेल-कूद, सोने-जागने की सही आदतें, और अपने काम, अपनी ड्यूटी को सही ढंग से करना ही योग है। उन्होंने कहा कि एक सजग नागरिक के रूप में हम परिवार और समाज के रूप में एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे। हम प्रयास करेंगे कि 'घर पर योग, परिवार के साथ योग' को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। हम जरूर सफल होंगे, हम जरूर विजयी होंगे।
अपने संबोधन के दौरान स्वामी विवेकानंद की एक उक्ति का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वह कहा करते थे कि एक आदर्श व्यक्ति वो है जो नितांत निर्जन में भी क्रियाशील रहता है और अत्यधिक गतिशीलता में भी सम्पूर्ण शांति का अनुभव करता है। किसी भी व्यक्ति के लिए ये एक बहुत बड़ी क्षमता होती है। उन्होंने कहा कि योग का अर्थ ही है- 'समत्वम् योग उच्यते' यानी अनुकूलता-प्रतिकूलता, सफलता-विफलता, सुख-संकट, हर परिस्थिति में समान रहने, अडिग रहने का नाम ही योग है।