मध्य प्रदेश के नगर निगम इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, छिंदवाड़ा, सागर, सिंगरौली उज्जैन, खंडवा, बुरहानपुर, भोपाल और सतना में मतगणना हो रही है। भाजपा अधिकतर जगहों पर बढ़त बनाए हुए हैं। इनमें 101 उम्मीदवार मैदान में थे। इसमें सबसे अधिक इंदौर में 19 उम्मीदवार थे। इसके साथ ही 36 नगर पालिका और 86 नगर परिषद के भी वोटों की गिनती हो रही है। मतगणना केंद्रों मोबाइल का उपयोग करने की अनुमति नहीं है। मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार अधिकारियों को सुरक्षा से जुड़े सभी जरूरी व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए गए हैं। यहां जानिए मतगणना को लेकर हर ताजा अपडेट्स-
कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव के प्रथम चरण के परिणामों पर कहा कि परिणाम कांग्रेस की लिए उत्साहजनक हैं और तीन शहरों में महापौर पद पर जीत के साथ ही कांग्रेस के पार्षदों की संख्या भी बढ़ी है। मालूम हो कि कांग्रेस ने कमलनाथ के गृह क्षेत्र छिंदवाड़ा नगर निगम और जबलपुर नगर निगम में महापौर पद का चुनाव जीता है जबकि ग्वालियर में कांग्रेस की उम्मीदवार शोभा सिकरवार आगे चल रही हैं। इसके साथ ही बुरहानपुर और उज्जैन में कांग्रेस के उम्मीदवार क्रमश: 542 और 736 मतों से पराजित हुए हैं। कमलनाथ ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि परिणाम कांग्रेस के लिए उत्साहजनक हैं। हमने छिंदवाड़ा, जबलपुर और ग्वालियर में तीन महापौर पदों पर जीत दर्ज की है। हमारे पार्षदों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि हमने ग्वालियर में करीब 50 साल बाद महापौर के पद पर जीत हासिल की है।
देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के नगर निगम चुनावों में महापौर पद के लिए भाजपा प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार संजय शुक्ला को रविवार को करीब 1.33 लाख मतों से हराया और इस पद पर भाजपा का दो दशक पुराना कब्जा बरकरार रखा। अपने जीवन में पहली बार सियासी चुनाव लड़ने वाले भार्गव को 5,92,519 वोट हासिल हुए, जबकि मौजूदा कांग्रेस विधायक शुक्ला को 4,59,562 मतों से संतोष करना पड़ा। अधिकारियों ने बताया कि केवल 12वीं तक पढ़े शुक्ला ने चुनावी हलफनामे में अपनी और उनकी पत्नी की कुल 170 करोड़ रुपये की संपत्ति बताई थी और वह सूबे के 16 नगर निगमों में हुए चुनावों में महापौर पद के उम्मीदवारों में सबसे अमीर थे।
चुनाव प्रचार में खुद को अक्सर ‘लक्ष्मीपुत्र’ बताने वाले शुक्ला ने मतदाताओं से बहुचर्चित वादा किया था कि राज्य के सबसे बड़े शहर इंदौर का महापौर बनने पर वह ‘अपनी जेब से’ पांच ओवरब्रिज बनवाएंगे और कोविड-19 के मरीजों तक 20,000-20,000 रुपये की आर्थिक सहायता भी पहुंचाएंगे।
उधर, भाजपा उम्मीदवार पुष्यमित्र भार्गव ने चुनावी घोषणापत्र में अपनी और उनकी पत्नी की कुल 2.31 करोड़ रुपये की संपत्ति बताई थी। भार्गव के पास एलएलएम और अन्य शैक्षणिक उपाधियां हैं। भार्गव की नामांकन रैली में 18 जून को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्ला पर इशारों ही इशारों में निशाना साधते हुए इंदौर नगर निगम चुनावों को ‘धन के पुजारी’ और ‘‘ज्ञान के पुजारी’ के बीच की लड़ाई" करार दिया था।
गौरतलब है कि इंदौर में भाजपा ने जोखिम लेते हुए महापौर पद के लिए भार्गव के रूप में एकदम नये चेहरे पर दांव लगाया था। इस पद के भाजपा उम्मीदवार के तौर पर अपने नाम की अधिकृत घोषणा से महज दो घंटे पहले, भार्गव ने अतिरिक्त महाधिवक्ता पद से इस्तीफा दिया था और चुनावी राजनीति में पहला कदम रखा था। भार्गव, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से सक्रिय तौर पर जुड़े रहे हैं।