राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्थापना दिवस व विजयादशमी उत्सव के अवसर पर सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने स्वयंससेवकों को संबोधित किया। हर साल की तरह इस बार भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हेडक्वॉर्टर नागपुर (Nagpur) में शस्त्र पूजा की गई, इस खास मौके पर आरएसएस में शस्त्र पूजा का विधान है।आरएसएस के फेसबुक, ट्विटर व यूट्यूब आरएसएसओआरजी पर इसे ऑनलाइन प्रसारित किया गया। कोरोना संकट को देखते हुए इस बार के विजय दशमी कार्यक्रम को लेकर कई अहम बदलाव किए थे।
सप्ताह में एक बार हम अपने कुटुम्ब में सब लोग मिलकर श्रद्धानुसार भजन व इच्छानुसार आनन्दपूर्वक घर में बनाया भोजन करने के पश्चात्, 2-3 घण्टों की गपशप के लिए बैठ जाएँ और पूरे परिवार में आचरण का संकल्प लेकर, उसको परिवार के सभी सदस्यों के आचरण में लागू करने करें।हमारे राष्ट्र के विकास व प्रगति के बारे में हमें अपनी भाव भूमि को आधार बनाकर, अपनी पृष्ठभूमि में, अपने विकास पथ का आलेखन करना पड़ेगा। उस पथ का गंतव्य हमारे राष्ट्रीय संस्कृति व आकांक्षा के अनुरूप ही होगा।भारतीय विचार में संघर्ष में से प्रगति के तत्त्व को नहीं माना है। अन्याय निवारण के अंतिम साधन के रूप में ही संघर्ष मान्य किया गया है।
इन सबका यशस्वी क्रियान्वयन पूर्ण होने तक बारीकी से ध्यान देना पड़ेगा।इसीलिये स्व या आत्मतत्त्व का विचार इस व्यापक परिप्रेक्ष्य में सबने आत्मसात करनाहोगा,तभी उचित दिशामें चलकर यह यात्रा यशस्वी होगी।अर्थ, कृषि, श्रम, उद्योग तथा शिक्षा नीति में स्व को लाने की इच्छा रख कर कुछ आशा जगाने वाले कदम अवश्य उठाए गए हैं। व्यापक संवाद के आधार पर एक नई शिक्षा नीति घोषित हुई है। उसका संपूर्ण शिक्षा जगत से स्वागत हुआ है, हमने भी उसका स्वागत किया है।