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Eknath Khadse: कभी मुख्यमंत्री पद के थे प्रबल दावेदार, आज टिकट तक पाने से हैं महरूम

Updated Oct 01, 2019 | 19:00 IST

एकनाथ खडसे (Eknath Khadse) की गिनती कभी महाराष्ट्र भाजपा के कद्दावर नेताओं में होती थी। लेकिन एक घोटाले में नाम आने के बाद उन्हें न केवल मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा बल्कि पार्टी में भी साइड लाइन हो गए।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
एकनाथ खडसे
मुख्य बातें
  • 2014 विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद खडसे को सीएम पद का दावेदार माना जा रहा था
  • 2016 में एक घोटाले में नाम आने के बाद खडसे को फडनवीस सरकार से इस्तीफा देना पड़ा था
  • महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने 125 प्रत्याशियों की सूची जारी की

मुंबई: भाजपा (BJP) के कद्दावर नेता गोपीनाथ मुंडे का जब निधन हुआ तो उसके बाद एकनाथ खडसे (Eknath Khadse) को मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन बाजी लगी देवेंद्र फड़नवीस (Devendra Fadnavis) के हाथों। इसके बाद खडसे को फडनवीस सरकार में राजस्व जैसा अहम मंत्रालय मिला। लेकिन समय का चक्र कहिए या कुछ और, जिस नेता को कभी महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य का सीएम पद का दावेदार माना जाता था वह आज विधानसभा (Maharashtra Elections) का टिकट पाने से महरूम है। राज्य विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 125 उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है उसमें 12 मौजूदा विधायकों के नाम नहीं है और इसमें एक नाम एकनाथ खडसे का भी है।

एकनाथ खडसे को भले ही टिकट नहीं मिला हो लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने का पूरा मन बना लिया है और मंगलवार को अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया है।  टिकट नहीं मिलने से निऱाश खडसे ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'पार्टी ने जो लिस्ट जारी की है उसमें मेरा नाम नहीं है, लेकिन मुझे टिकट मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। मुझे नहीं पता कि यह सीट शिवसेना के खाते में जाएगी या बीजेपी। मैं जो जानता हूं वो यह है कि मैं पिछले 42 साल से भाजपा के प्रति वफादार रहा हूं।'

खडसे ने आगे कहा, 'अगर पार्टी के प्रति निष्ठावान होना एक अपराध है, तो हां मैं एक अपराधी हूं। प्रमोद महाजन और गोपीनाथ मुंडे जी के समय से पिछले 25 वर्षों के दौरान मैं महाराष्ट्र में भाजपा के निर्णय लेने वाले निकायों का हिस्सा था। मैंने दूसरों के लिए टिकट तय किए।

खड़से वर्तमान में मुक्ताईनगर विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक हैं । नामांकन दाखिल करने से पहले उन्होंने दल-बल के साथ नागेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की और फिर तहसील जाकर नामांकन दाखिल किया। इस दौरान खडसे ने कहा कि 2014 में जब शिवसेना से शीट शेयरिंग को लेकर बात नहीं बन सकी थी तो मुझे गठबंधन तोड़ने का जिम्मा सौंपा गया जिसे मैंने निभाया। उन्होंने कहा कि इसी वजह से शिवसेना नेता आज भी उन्हें बदमाश कहते हैं।

फडनवीस सरकार में वित्त जैसा अहम मंत्रालय संभालने वाले खडसे पर एक ऐसा दाग लगा कि दो साल के भीतर ही 2016 में उन्हें मंत्री पद की कुर्सी छोड़नी पड़ी। दरअसल खडसे पर अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम के साथ बातचीत करने के अलावा जमीन सौदे में घोटाले का आरोप लगा था। हालांकि जब खडसे ने इस्तीफा दिया था तो पूरी पार्टी उनके साथ खड़ी हुई नजर आई थी। जब प्रदेश बीजेपी ने कहा था कि खडसे पर जो आरोप लगाए गए हैं वो बेबुनियाद है और वह जल्द ही बेदाग होकर वापस लौटेंगे। लेकिन ऐसा हो नहीं सका। खडसे 2009 से लेकर 2014 तक विधानसभा में विपक्ष के नेता थे।

आपको बता दें कि महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को चुनाव होने हैं और 24 अक्टूबर को मतगणना होगी। भाजपा और शिवसेना दोनों मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं कांग्रेस और एनसीपी ने भी गठबंधन किया है।


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