21 अक्टूबर को महाराष्ट्र ( Maharashtra assembly elections 2019) और हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana assembly elections 2019) होने वाले हैं लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में चुनाव को लेकर कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा है जबकि बीजेपी और शिवसेना के नेता चुनाव प्रचार में जमकर जुट गए हैं। इतना ही नहीं दूसरी पार्टियों के नेता एक के बाद बीजेपी गठबंधन के साथ जुड़ते जा रहे हैं। इन चुनावों में अब तक कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत बड़े नेता बीजेपी और उसके गठबंधन को टक्कर देते नजर नहीं आ रहे हैं। लगता है चुनाव से पहले ही कांग्रेस ने हार मान ली है।
हाल ही में चुनाव की तैयारियों के बीच सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के बैंकॉक जाने की खबर वायरल हुई थी हालांकि इस खबर के वायरल होने के बाद कांग्रेस ने इस पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा था सोशल मीडिया पर चल रही खबर मात्र अफवाह है। इसके बाद खबर आई कि राहुल गांधी महाराष्ट्र और हरियाणा में 10 से लेकर 19 अक्टूबर के बीच चुनाव प्रचार करेंगे। लोकसभा चुनाव में उम्मीद से खराब प्रदर्शन के बाद राहुल गांधी की ये पहली चुनावी रैलियां होंगी। पहले कहा जा रहा था कि दो अक्टूबर को गांधी जयंती पर प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे।
कांग्रेस खेमों में निराशा साफ नजर आ रही है। सीनियर नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि पार्टी संघर्ष के दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमारे नेता हमें छोड़कर जा रहे हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र में जीतने की संभावना नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी की हालत ऐसी हो गई है कि अब अपना भविष्य तक नहीं तय कर सकती है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद हम हार पर मंथन भी नहीं कर पाए कि राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने से व्यवस्था अस्थाई मालूम पड़ती है। जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल मजबूत नहीं हो पार रहा है।
महाराष्ट्र में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार संजय निरूपम भी पार्टी से नाराज चल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांगेस में उनकी उपेक्षा हो रही है। उन्होंने साफ-साफ कहा कि पार्टी में मेरे साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। हमने रात दिन पार्टी के लिए काम किया लेकिन निकम्मे लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है। वह दिन दूर नहीं, जब मैं पार्टी को अलविदा कह दूं। मुंबई उत्तर सीट से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ने वाली अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर ने पार्टी में अंदरूनी राजनीति को वजह बताते हुए पार्टी छोड़ दी थी। मिलिंद देवड़ा भी चुनाव प्रचार में अभी कहीं नजर नहीं आ रहे हैं।
हरियाणा में भी कांग्रेस की हालत ठीक है। पार्टी के सीनियर नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पुराने लोगों की उपेक्षा कर नए लोगों को टिकट देने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस नेतृत्व खत्म हो चुका है। पार्टी के लिए खून-पसीना बहाने के बाद टिकट दिया गया। साथ ही उन्होंने कहा कि टिकट 5 करोड़ रुपए में बेचा जा रहा है। ऐसे लोगों को टिकट दिया जा रहा है जो कांग्रेस की आलोचना करते थे।
लोकसभा चुनाव 2019 में 542 सीटों में से केवल 52 सीटों पर कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी। एक समय केंद्र में सरकार बनाने की उम्मीद पाले कांग्रेस अब निराश और हताश नजर आ रही है। चुनाव बेहद करीब है लेकिन प्रचार अभियान का अता-पता नहीं है। महाराष्ट्र और हरियाणा में टिकट बंटवारे और पुराने नेताओं की उपेक्षा को लेकर पार्टी खेमों में बंट गई है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की पकड़ कमजोर होती नजर आ रही है और पार्टी अंदरूनी कलह में उलझ गई है। यहां कांग्रेस उबरती नहीं आ रही है। इससे एनडीए को वॉक ओवर मिलता नजर आ रहा है।