- चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में चुनावी दलों ने झोंकी अपनी पूरी ताकत
- भाजपा-शिवसेना को मिलेगा कांग्रेस-एनसीसी की कमजोरी का फायदा
- महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को पड़ेंगे वोट और 24 अक्टूबर को आएंगे नतीजे
महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इस राज्य में मुख्य मुकाबला भाजपा-शिवसेना और कांग्रेस-राकांपा गठबंधन के बीच है। भाजपा को उम्मीद है कि वह मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के नेतृत्व में एक बार फिर सत्ता में वापसी करेगी जबकि कांग्रेस को लगता है कि स्ता विरोधी लहर से उसे फायदा पहुंच सकता है। कुल मिलाकर चुनाव जीतने की अनुकूल स्थितियां भाजपा-शिवसेना गठबंधन के पक्ष में हैं। इस राज्य में विपक्ष की कमजोरी का सीधा लाभ भाजपा-शिवसेना गठबंधन को मिलता दिख रहा है।
समझा जा रहा है कि महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन आसानी से सरकार बना लेगा। यह गठबंधन अपने छोटे सहयोगी दलों के साथ राज्य में 220 से 240 सीटें जीत सकता है। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। गत विधानसभा चुनाव में भाजपा को 27.81 प्रतिशत वोट मिले थे और उसने 122 सीटें जीतीं जबकि 19.35 प्रतिशत वोटों के साथ शिवसेना 63 सीटों पर विजयी हुई। कांग्रेस को 42 सीटें (17.95% वोट), राकांपा को 41 सीटें (17.24% वोट) मिलीं। भाजपा और शिवसेना के वोट प्रतिशत को यदि जोड़ दिया जाए तो यह गठबंधन आसानी से बहुमत के आंकड़े को पार कर जाएगा।
महाराष्ट्र में विपक्ष की हालत कमजोर है। कांग्रेस और राकांपा की आंतरिक गुटबाजी के चलते उनके कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर है। कांग्रेस में मतभेद और मनमुटाव कितना चरम पर है, यह संजय निरूपम और मिलिंद देवड़ा प्रकरण से समझा जा सकता है। इन दोनों नेताओं की गुटबाजी से महाराष्ट्र में कांग्रेस कमजोर हुई है। यही नहीं कांग्रेस और राकांपा से बड़ी संख्या में स्थानीय नेता एवं जिताऊ उम्मीदवार चुनाव से ठीक पहले भाजपा और शिवसेना में शामिल हुए जिससे दोनों पार्टियों की चुनाव तैयारियों को झटका लगा। बैंक घोटाले में शरद पवार का नाम आने से राकांपा के लिए चुनावी राह कठिन हुई है।
भाजपा अपने चुनाव प्रचार में ज्यादा आक्रामक है। वह अनुच्छेद 370, राफेल और तीन तलाक विधेयक को अपनी सफलता बताते हुए इन मुद्दों के जरिए विपक्ष को घेर रही है। तो विपक्ष भाजपा से अर्थव्यवस्था, किसानों की दशा और रोजगार जैसे मसलों पर सवाल पूछ रहा है। अनुच्छेद 370 ने हिंदू वोटरों को भाजपा और शिवसेना के करीब लाने का काम किया है। सरकारी नौकरियों में 12 प्रतिशत मराठा आरक्षण का वादा भी भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होता दिख रहा है। कुल मिलाकर महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन अपनी जीत के प्रतिश आश्वस्त नजर आ रहा है। इसका एक कारण 2019 के लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन को मिली अपार सफलता भी है।