- पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी सावरकर के नहीं बल्कि हिंदूवादी विचारधारा के खिलाफ हैं
- मनमोहन सिंह ने याद दिलाया कि इंदिरा गांधी ने सावरकर के लिए डाट टिकट जारी किया
- महाराष्ट्र भाजपा ने अपने घोषणापत्र में सावरकर को भारत रत्न दिए जाने का वादा किया है
मुंबई : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस पार्टी विनायक दामोदर सावरकर (Veer Savarkar) के खिलाफ नहीं है बल्कि हिंदुत्व की उस विचारधारा के विरोध में है जिसे इस नेता ने स्वीकार किया और जिसे लेकर आगे बढ़े। पूर्व प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने महाराष्ट्र चुनाव के लिए जारी अपने घोषणापत्र में वीर सावरकर को भारत रत्न देने का वादा दिया है।
वहीं, देश की सबसे पुरानी पार्टी ने कहा है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र की सरकार यदि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर सावरकर को सबसे बड़े नागरिक सम्मान से सम्मानित करने के बारे में सोच रही है तो 'भगवान ही इस देश को बचा सकते हैं।' हालांकि, मंगलवार को सिंह ने कहा, 'हम सावरकर जी के खिलाफ नहीं है बल्कि सवाल है कि सावरकर जी ने जिस हिंदुत्व विचारधारा की बातें की हैं, हम उसका समर्थन नहीं करते।'
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि यह इंदिरा गांधी थीं जिन्होंने सावरकर की याद में डाक टिकट जारी किए। उन्होंने कहा, 'जहां तक सावरकर जी का सवाल है तो आपको याद होगा कि उनकी याद में इंदिरा जी ने एक डाक टिकट जारी किया था। हम सावरकर जी के खिलाफ नहीं हैं बल्कि हम उनकी विचारधारा का विरोध करते हैं।'
सावरकर को भारत रत्न दिए जाने पर उठे विवाद पर मनमोहन सिंह ने कहा, 'जहां तक भारत रत्न दिए जाने की बात है तो मेरा मानना है कि हम सरकार में नहीं हैं। इसे सरकार और इन मामलों को देखने वाली समिति को देखना है।' बता दें कि महाराष्ट्र भाजपा ने अपने 40 पन्नों के घोषणापत्र में कहा है कि वह महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले और वीर सावरकर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना सुनिश्चित करेगी।
सावरकर को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के वादे पर विपक्ष ने भाजपा पर निशाना साधा है। विपक्ष के कई नेताओं ने भाजपा के इस विचार की आलोचना की है। गत बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सावरकर को भारत रत्न दिए जाने पर जोर दिया। महाराष्ट्र के विदर्भ में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'सावरकर जी भारत रत्न से वंचित रह गए। यह उनके मूल्यों की बदौलत है कि हम राष्ट्रवाद को राष्ट-निर्माण की बुनियाद के रूप में रखते हैं।'