यह तस्वीर अपने आप में सभी सवालों का जवाब देती है कि कोरोना ने ना सिर्फ किसी की सांसें उखाड़ दीं बल्कि अंतिम संस्कार के समय उस शख्स की विधि विधान से अंतिम विदाई देने में किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा नजारा शायद ही कभी देखने को मिला हो।
मौत तो निश्चित है। लेकिन किसी ने नहीं सोचा होगा कि अपनों को इस तरह से अंतिम विदाई देनी पड़ेगी। लेकिन कोरोना काल में यही कड़वा सच था। कोरोना से जिन लोगों की मौत हुई उनके परिजन अंतिम दर्शन तक नहीं कर सके। व्यथा की वो अंतहीन दास्तां की मजह यह एक तस्वीर है लेकिन संदेश कहीं और बड़ा।
इसमें किसी एक शख्स के पार्थिव शरीर का दहन नहीं हो रहा है बल्कि व्यवस्था का भी दहन है। यह तस्वीर किसी खास घाट की हो सकती है। लेकिन कोरोना महामारी की इस दूसरी लहर में देश के अलग अलग हिस्सों से इसी तरह का मंजर दिखाई दिया जो दिल दहला देती है।
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