- 5 अगस्त का निर्णय वापस लिए बिना चुनाव लड़ने या तिरंगा थामने में दिलचस्पी नहीं: महबूबा
- भारतीय ध्वज का अनादर कर रही हैं महबूबा मुफ्ती: रविशंकर प्रसाद
- महबूबा के बयान के विरोध में 3 नेताओं ने दिया इस्तीफा
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती के तिरंगे और अनुच्छेद 370 पर टिप्पणी के बाद तीन नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। पीडीपी नेताओं टीएस बाजवा, वेद महाजन और हुसैन ए वफ्फा ने पीडीपी से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी अध्यक्ष मुफ्ती को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि वे 'उनके कुछ कामों और बयानों, विशेष रूप से जो देशभक्ति की भावनाओं को आहत करते हैं की वजह से असहज महसूस कर रहे हैं।'
महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में कहा था कि उन्हें चुनाव लड़ने या तिरंगा पकड़ने में में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा कि वो तिरंगे को तभी फहराएंगी जब अनुच्छेद 370 को वापस कर दिया जाएगा। हाल में जब वो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही थीं तो उनकी मेज पर एक झंडा जम्मू-कश्मीर का था और दूसरा झंडा उनकी पार्टी का था। जब उनसे पूछा गया कि आप ने तिरंगा क्यों नहीं लगाया तो उनका जवाब था कि डाकुओं ने उनके झंडे को छीन लिया है।
PDP दफ्तर पर फहराया तिरंगा
उनके बयान पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी साथ ही बीजेपी कार्यकर्ता सोमवार सुबह तिरंगा लेकर श्रीगनर के प्रसिद्ध लाल चौक पहुंच गए हैं और 'भारत माता की जय' नारे के जयकारे के साथ तिरंगा फहराने की कोशिश की। वहीं इससे पहले रविवार को भी बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने जम्मू में पीडीपी के कार्यालय के बाहर नारेबाजी कर तिरंगा फहराया था। इसके बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जम्मू स्थिति महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी के दफ्तर पर तिरंगा फहराया।
नहीं बहास होगा अनुच्छेद 370
महबूबा की टिप्पणी पर भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि महबूबा मुफ्ती की यह टिप्पणी राष्ट्रीय ध्वज की शुचिता का घोर अपमान है कि जब तक कश्मीर का ध्वज बहाल नहीं हो जाता, तब तक वह तिरंगा नहीं उठाएंगी। प्रसाद ने इस बात पर जोर दिया कि अनुच्छेद 370 पूर्ववर्ती राज्य को एक विशेष दर्जा प्रदान करता था और इसे पिछले वर्ष समाप्त कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि इसे अब बहाल नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसे एक उचित संवैधानिक प्रक्रिया के तहत समाप्त किया गया और संसद के दोनों सदनों ने इसे अच्छी संख्या बल से मंजूरी दी थी। कानून मंत्री ने कहा कि इसे समाप्त करना देश के प्रति हमारी प्रतिबद्धता थी और लोगों ने इसकी प्रशंसा की।