लाइव टीवी

मराठाओं को मिला आरक्षण तो हम भी हकदार, असदुद्दीन ओवैसी बोले- लातूर या महाराष्ट्र में ही नहीं भारत में नई तारीख लिखेंगे

Updated Jun 08, 2022 | 15:24 IST

महाराष्ट्र में एक जनसभा को एआईएमआईएम के मुखिया ने कहा कि मुस्लिम समाज किसी भी मायने में मराठाओं से कम नहीं है। अगर मराठाओं को आरक्षण मिला तो वो पूरा आरक्षण लेंगे और भारत में नई तारीख लिखेंगे

Loading ...
मुख्य बातें
  • मराठा आरक्षण पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम समाज भी हकदार
  • अगर आरक्षण नहीं मिला तो पूरा आरक्षण ले लेंगे
  • ऐसा होने पर लातूर ही नहीं पूरे भारत में नई तारीख लिखेंगे।

यह मालेगांव के मुसलमानों का अधिकार है।जैसे मराठों को यहां मिलता है वैसे ही महाराष्ट्र के मुसलमानों को भी आरक्षण मिलना चाहिए। जब भी मराठों की चर्चा हो तो मुसलमानों पर भी साथ-साथ चर्चा होनी चाहिए।मैं मराठा से कम नहीं, हम मराठों के बराबर हैं।अगर उन्हें (मराठों को) आरक्षण मिलेगा और हमें (मुसलमानों को) नहीं मिलेगा तो मैं पूरा आरक्षण अपने हाथ में ले लूंगा।हमें मिलकर लड़ना है। यह एक कठिन लड़ाई है लेकिन अगर आप सब मेरा साथ देंगे तो हम जीत जाएंगे। लातूर या महाराष्ट्र में ही नहीं, भारत में नई तारीखें लिखेंगे। 

मुस्लिम समाज से एकजुट होने की अपील
एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि हमें आपलोगों का साथ चाहिए। अगर आपका साथ मिला तो हम इस लड़ाई को आगे बढ़ा सकने में कामयाब होंगे। हमें अपनी आवाज उठानी होगी। नियम कानून के दायरे में अपने हक के लिए बोलना होगा। हमें यह देखना होगा कि वो कौन लोग है जो मुस्लिम समाज की बेहतरी नहीं चाहते हैं। हम सबको उसके खिलाफ आवाज उठाना ही होगा। 

सुप्रीम कोर्ट मे मराठा आरक्षण को खारिज कर दिया था
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को खत्म करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने राज्य में आरक्षण आंदोलन को भड़काने का काम किया है।अदालत ने साफ कर दिया गया कि आरक्षण गैर संवैधानिक है क्योंकि कुल आरक्षण 50% की सीमा का उल्लंघन नहीं कर सकता है।मराठों के लिए एक कोटा की मांग लंबे समय से चली आ रही है और कथित तौर पर कम से कम 1980 के दशक से चली आ रही है। लेकिन इस अभियान ने पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण जन प्राप्त किया। यह 2017 में था कि तत्कालीन भाजपा के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय की सामाजिक, वित्तीय और शैक्षिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए एक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया था।

पूर्व न्यायाधीश एमजी गायकवाड़ के नेतृत्व वाले पैनल ने पाया कि मराठा समुदाय शैक्षिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा हुआ था और राज्य सरकार की सेवाओं में उसका अपर्याप्त प्रतिनिधित्व था।गायकवाड़ पैनल ने पाया कि 7% मराठा, जो कथित तौर पर महाराष्ट्र की आबादी का 32% हिस्सा हैं, कॉलेज ग्रेजुएट थे, जबकि 37% गरीबी रेखा से नीचे रहते थे। एक और 71 प्रतिशत भूमिहीन या सीमांत किसान पाए गए।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।