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Ayodhya:अयोध्या में मस्जिद के लिए जमीन पर सामने आए ये विचार 

Updated Nov 12, 2019 | 15:14 IST

Ayodhya 5 acre land land for Mosque: अयोध्या पर बहुप्रतीक्षित फैसला आ चुका है और राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है वहीं अयोध्या में मस्जिद के लिए भी 5 एकड़ जमीन देने की बात भी फैसले में है। 

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नई दिल्ली: अयोध्या टाइटल सूट मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्ष ने इसका स्वागत किया है और देश में सांप्रदायिक सौहार्द और एकता की मिसाल पेश की है। फैसले में अयोध्या में मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन देने के की भी बात कही गई है, मुस्लिम पक्ष में मस्जिद के लिए जमीन लेने या ना लेने पर अलग-अलग मत सामने आए हैं।

अयोध्या में मस्जिद कहां बनाई जाए इसके लिए जमीन कहां मिले इसको लेकर भी मुसलमान और हिंदू समुदाय से मिले-जुले विचार सामने आ रहे हैं। अयोध्या मामले में मुख्य याचिकाकर्ता इकबाल अंसारी ने कुछ स्थानीय मुस्लिम नेताओं के साथ मिलकर मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत मस्जिद के निर्माण के लिए आवंटित की जाने वाली पांच एकड़ जमीन अयोध्या में अधिग्रहित 67 एकड़ जमीन में से ही दी जाए। केंद्र सरकार ने 1991 में विवादित स्थल समेत जमीन अधिग्रहित की थी।

अंसारी ने कहा, 'अगर वे हमें जमीन देना चाहते हैं, तो हमें हमारी सुविधा के मुताबिक दी जानी चाहिए और वह 67 एकड़ अधिग्रहित जमीन में से ही होनी चाहिए। तब हम यह लेंगे, अन्यथा हम इस पेशकश को ठुकरा देंगे क्योंकि लोग कह रहे हैं कि चौदह कोस से बाहर जाओ और वहां मस्जिद बनाओ। यह उचित नहीं है।' 

वहीं रामजन्मभूमि निर्माण न्यास महंत सुरेश दास का कहना है कि जमीन अयोध्या में देने की बात है जमीन अयोध्या जिले में ही कहीं दी जाए और जमीन चौदह कोस के बाहर दी जाए। 

वहीं मुस्लिम पक्ष की तरफ से एक अन्य याचिकाकर्ता हाजी महबूब ने कहा, 'हम इस झुनझुने को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्हें निश्चित रूप से यह स्पष्ट करना चाहिए कि वो हमें कहां जमीन देना चाहते हैं।'  जमीयत उलेमा हिंद के अयोध्या प्रमुख मौलाना बी. खान ने कहा कि मुस्लिम पक्ष बाबरी मस्जिद के लिए लड़ रहा था न कि किसी दूसरी जमीन के लिए। उन्होंने कहा, 'हमें मस्जिद के लिए कहीं और जमीन नहीं चाहिए। इसके बजाए, हम यह जमीन भी राम मंदिर के लिये दे दें।'

अयोध्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया था
सुप्रीम कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ जमीन राम लला को देने का फैसला सुनाया साथ ही मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक जमीन मुहैया कराने का आदेश दिया था।कोर्ट ने 2010 के हाई कोर्ट के फैसले को गलत ठहराते हुए कहा है कि विवादित जमीन को तीन हिस्से में बांटने का फैसला गलत था। कोर्ट ने विवादित जमीन राम जन्मभूमि ट्रस्ट को देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने मस्जिद के निर्माण के लिए मुस्लिमों को पांच एकड़ जमीन देने की बात कही है। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हिंदू अयोध्या को भगवान राम की जन्मभूमि मानते हैं। इस स्थान से उनकी धार्मिक भावनाएं जुड़ी हैं। मुस्लिमों का कहना है कि यहां बाबरी मस्जिद थी। अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ, हिंदुओं की यह आस्था अविवादित है।' शीर्ष अदालत ने कहा, 'इस बात के साक्ष्य हैं कि हिंदू राम चबूतरा, सीता रसोई की पूजा अंग्रेजों के आने से पहले से करते आ रहे थे। साक्ष्य यह भी बताते हैं कि विवादित भूमि के बाहरी परिसर पर हिंदुओं का कब्जा था।'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'टाइटिल पर फैसला मान्यता एवं विश्वास पर नहीं किया जा सकता। ऐतिहासिक साक्ष्य इस विश्वास का संकेत देते हैं कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है।' इस दौरान कोर्ट ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया गया है। साथ ही निर्मोही अखाड़ा के सेवादार होने के दावे को भी खारिज किया गया।

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